बाल विकास अध्ययन के उद्देश्य (Aims of Child Development Study)

Bal Vikas Adhyayan Ke Uddeshya

बाल विकास अध्ययन के उद्देश्य (Aims of Child Development Study)

बाल विकास की प्रक्रिया को अध्ययन का विषय बनाने के पीछे मनोवैज्ञानिकों एवं शिक्षाशास्त्रियों ने अनेक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य निर्धारित किये हैं। बाल विकास की प्रक्रिया का ज्ञान प्रत्येक अभिभावक एवं शिक्षक को होना चाहिये क्योंकि बाल विकास की प्रक्रिया के ज्ञान के अभाव में कोई भी शिक्षक अपने दायित्व को पूर्ण नहीं कर सकता।

बाल विकास के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  1. बाल विकास के द्वारा प्रत्येक शिक्षक को यह ज्ञान कराया जाता है कि वह सन्तुलित बाल विकास की प्रक्रिया में किस प्रकार अपना सहयोग प्रदान कर सकते हैं?
  2. बाल विकास के द्वारा बालकों के विकास में उत्पन्न विभिन्नताओं का ज्ञान शिक्षक एवं अभिभावकों को कराया जाता है।
  3. बाल विकास का प्रमुख उद्देश्य बालकों के सन्तुलित विकास के लिये मार्ग प्रशस्त करना है, जिससे कि वे पूर्णतः विकास को प्राप्त कर सकें।
  4. बाल विकास के द्वारा छात्रों के चहुँमुखी विकास की योजना तैयार की जाती है, जिससे उसका व्यक्तित्व निखर सके।
  5. बाल विकास का उद्देश्य बालकों के विकास पर पड़ने वाले विभिन्न कुप्रभावों को दूर करना है, जिससे बालकों का सर्वांगीण विकास किया जा सके।
  6. बाल विकास के द्वारा बालों के विकास में उत्पन्न अनेक शारीरिक एवं पारिवारिक समस्याओं का ज्ञान करते हुए उन्हें दूर करने का प्रयास किया जाता है।
  7. बाल विकास का प्रमुख उद्देश्य उसमें अन्तर्निहित शक्तियों का पूर्ण विकास करना है, जिससे वह एक कुशल नागरिक बन सके।
  8. बाल विकास का उद्देश्य बालक के विकास की उस प्रथम सीढ़ी अक्षित नींव को सुदृढ़ करना है, जिस पर कि विकास का भव्य भवन निर्मित होता है।
  9. बाल विकास का उद्देश्य बालकों को शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक रूप से श्रेष्ठता प्रदान करना है, जिससे कि वह समाज एवं राष्ट्र के विकास में अपनी भूमिका का निर्वाह
    कर सकें।
  10. बाल विकास का प्रमुख उद्देश्य बालकों में प्रारम्भकाल से ही स्वस्थ मन एवं शरीर का विकास करना है, जिससे कि बालक सामाजिक, मानवीय एवं नैतिक गुणों से परिपूर्ण हो सके।

उपरोक्त विवेचनसे यह स्पष्ट होता है कि बाल विकास का उद्देश्य बालकों के लिये चहुमुंखी विकास का मार्ग आलोकित करना है तथा इस मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करना है,
जिससे कि बालक सन्तुलित रूप में प्रकाशित होते हुए देश एवं समाज के विकास में अपना योगदान दे सकें।