शिकायती पत्र – शिकायती पत्र और शिकायती पत्रों के प्रारूप

शिकायती पत्र किसी शिकायत से सम्बन्धित होते हैं। किसी सरकारी कर्मचारी की शिकायत बड़े अधिकारी से करने के लिए प्रायः इन पत्रों को लिखा जाता है। इन पत्रों के कुछ उदाहरण प्रस्तुत है।

Shikayati Patra

उदाहरण १. पुलिस इन्स्पेक्टर के उत्पीड़न पर एक शिकायती पत्र एस. एस. पी. को लिखिए।

सेवा में,
          वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक
          फीरोजाबाद
३०२ स्वरूप नगर
फीरोजाबाद
दिनांक १५-८-२०१९

बिषय – इन्स्पेक्टर के उत्पीड़न के लिए शिकायती पत्र

महोदय,
          सेवा में सविनय निवेदन है कि थाना उत्तर में तैनात दरोगा पी. के. सिंह ने जैन मार्केट, रामलीला चौराहा, फीरोजाबाद के दुकानदारों से अकारण गाली-गलौज करने एवं मारपीट करने का स्वभाव बना लिया है। कई दुकानदारों को वह अब तक अपमानित कर चुके हैं। इसी मार्केट में मेरा भी मेडिकल स्टोर है। कल मेरी दुकान से उन्होंने पचास रुपए की दवाइयां लीं और जब मैंने पैसे मांगे तो पुलिसिया रौब दिखाते हुए मुझे गालियां देने लगे। मेरे द्वारा विरोध किए जाने पर उन्होंने मेरे गाल पर तमाचा मार दिया और मुझे किसी केस में झूठा फंसाने की धमकी देते हुए चले गए।
          मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि इस घटना की निष्पक्ष जांच किसी सक्षम अधिकारी से कराएं तथा दोषी पाए जाने पर ऐसे अशिष्ट एवं भ्रष्ट दरोगा को इस थाने से स्थानान्तरित कर दें जिससे जनता भयमुक्त हो सके और पुलिस की छवि खराब न हो।
          आशा है, आप मेरी इस शिकायत पर गौर कर अविलम्ब कार्यवाही करेंगे, जिससे मेरी मानसिक पीड़ा दूर हो सके।

सधन्यवाद
दिनांक १५-८-२०१९
भवदीय
सुरेश कुमार शर्मा
३२, जैन मार्केट
रामलीला चौराहा
फीरोजाबाद

उदाहरण २. फीरोजाबाद नगर में पेयजल की अव्यवस्था विषय पर एक पत्र अपने जनपद के जिलाधीश को लिखिए।

सेवा में,
          जिलाधीश
          फीरोजाबाद

३०१, आर्य नगर
फीरोजाबाद
दिनांक २०-८-२०१९

विषय – नगर में पेयजल की अव्यवस्था

महोदय,
          नगर में पेयजल की आपूर्ति करने का उत्तरदायित्व नगरपालिका का है, किन्तु आज पूरे नगर में पेयजल की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। प्रायः नलों में पानी नहीं आता और प्यासी जनता बूंद-बूंद पानी को तरसती रहती है। नगर में जहां कहीं हैण्ड पम्प लगे हैं, वहां बाल्टियों की लम्बी कतारों के साथ-साथ प्रायः तू-तू मैं-मैं होती देखी जा सकती है।
          नगरपालिका के अधिकारी विद्युत आपूर्ति में बाधा पड़ जाने को ही पेयजल संकट का प्रमुख कारण मानते हैं। नगरपालिका के चौबीस नलकूपों में से १० तो स्थायी रूप से खराब पड़े हैं तथा दो की मरम्मत चल रही है। शेष १२ नलकूप पूरे नगर को पर्याप्त जल की आपूर्ति नहीं कर पाते।
          मेरा यह सुझाव है कि पेयजल संकट को दूर करने के लिए उच्चशक्ति के जनरेटर नलकूपों हेतु लगवाये जायें तथा खराब नलकूपों की तुरन्त मरम्मत करवा कर उन्हें चालू किया जाय। कम से कम १०० हैण्ड पम्प भी विभिन्न मुहल्लों में लगवाये जायें तथा चार ओवर हैड टैंक निर्मित कराये जायें। शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना शासन का दायित्व है, अतः आपके हस्तक्षेप से ही इस समस्या का समाधान संभव हो सकता है।
          आशा है, इस ओर अविलम्ब ध्यान देकर जनता को पेयजल की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी अन्यथा जनता आन्दोलन के लिए बाध्य हो जाएगी।

सधन्यवाद
दिनांक २०-८-२०१९
भवदीय
रामनारायण पाण्डेय

उदाहरण ३. सड़क निर्माण में घटिया सामग्री प्रयुक्त करने की शिकायत का प्रारूप।

सेवा में,
          अध्यक्ष
          नगरपालिका, मैनपुरी
कचहरी रोड
मैनपुरी
दिनांक १८-८-२०१९

बिषय – सड़क निर्माण में घटिया सामग्री प्रयुक्त करने की शिकायत

महोदय,
          वार्ड संख्या १० में कचहरी रोड से खतराना मोहल्ले की सडक अभी पिछले सप्ताह नगरपालिका ने बनवाई है। इस सड़क में प्रयुक्त निर्माण सामग्री अत्यन्त घटिया स्तर की है तथा सीमेण्ट का प्रयोग भी मानक के अनुरूप नहीं किया गया है। सीमेण्ट और रेत का अनुपात एक-दस का है, परिणामतः सड़क अभी से उखड़ने लगी है।
          मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि सक्षम अधिकारियों से इस शिकायत की जांच करवाएं तथा सम्बन्धित ठेकेदार का भुगतान तब तक रोक दें जब तक निर्धारित मानकों के अनुरूप सामग्री का प्रयोग करके वह इस
          सड़क को पुनः निर्मित न कर दे। शीघ्र कार्यवाही की अपेक्षा है।

धन्यवाद सहित
दिनांक १८-८-२०१९
भवदीय
सुन्दर लाल शाक्य
२/३ खतराना मोहल्ला
मैनपुरी

उदाहरण ४. पोस्टमैन की शिकायत के लिए पत्र लिखिए।

सेवा में,
          पोस्ट मास्टर
          मुख्य डाकघर
          मुरादाबाद
आर्य नगर
डाकघर
मुरादाबाद
दिनांक १६-८-२०१९

बिषय – पोस्टमैन की शिकायत

महोदय,
          मैं आर्य नगर का निवासी हूं तथा मेरे क्षेत्र में श्री रूपसिंह पोस्टमैन के रूप में डाक वितरण करते हैं। वे नियमित रूप से प्रतिदिन डाक नहीं बांटते तथा दो दिन का अन्तराल देकर कई दिनों की इकट्ठी डाक एक साथ बांटते हैं, परिणामतः आवश्यक पत्र मुझे विलम्ब से मिल पाते हैं। उनसे कई बार इस विषय में कहा जा चुका है किन्तु वे अपनी आदत से बाज नहीं आते। कभी-कभी तो रजिस्टर्ड पत्र एवं पार्सल भी अपने पास ही रखे रहते हैं और कई-कई दिनों बाद ही उन्हें ठीक पते पर पहुंचा पाते हैं।
          आपसे अनुरोध है कि कृपया उक्त पोस्टमैन से इस शिकायत के आधार पर स्पष्टीकरण मांगा जाए और इसकी जांच करवाई जाए। शिकायत सही पाए जाने पर उन्हें चेतावनी दी जाए तथा विभागीय दण्ड भी दिया जाए जिससे आम जनता को परेशान करने का दुस्साहस फिर कोई अन्य पोस्टमैन न कर सके।
          आशा है, आप अविलम्ब कार्यवाही कर मुझे कृतार्थ करेंगे।

धन्यवाद सहित
दिनांक १६-८-२०१९
भवदीय
रविशंकर तिवारी
27, आर्यनगर
मुरादाबाद

उदाहरण ५. बिजली का मीटर खराब होने की शिकायत के पत्र का प्रारूप।

सेवा में,
          सब डिवीजनल आफीसर
          विद्युत् वितरण खण्ड-1
          उ. प्र. राज्य विद्युत् परिषद
          आगरा
दिनांक ११-८-२०१९

बिषय – बिजली का मीटर खराब होने की शिकायत

महोदय,
          मैं ट्रांस यमुना कालोनी आगरा का निवासी हूं तथा मेरे आवास पर कनेक्शन संख्या ३५०७ मीटर संख्या ९६६५६६ लगा हुआ है। इस बार जो विद्युत् बिल मुझे भुगतान के लिए प्रस्तुत किया गया है उसमें उपयोग यूनिट ६७८० दिखाकर १५,५५० रु. का बिल बनाया गया है।
          इस सम्बन्ध में मेरी शिकायत है कि मीटर रीडर ने जान बूझकर मेरा बिल बढ़ा दिया है, या फिर मेरा मीटर गलत रीडिंग दे रहा है, क्योंकि प्रति माह मैं औसतन २०० रु. का बिल भरता हूं। इतना अधिक बिल असम्भव है, अतः आप मीटर की जांच करावें तथा यदि मीटर रीडर ने जान-बूझकर गलत रीडिंग ली हो तो उसे चेतावनी दें जिससे वह भद्र नागरिकों को अकारण परेशान करने की प्रवृत्ति त्याग दे।
          आशा है आप यह बिल ठीक करवाकर भुगतान प्राप्ति के लिए मुझे शीघ्र भेजेंगे।

धन्यवाद सहित
दिनांक ११-८-२०१९
भवदीय
पवन कुमार अग्रवाल
३४, ट्रांस यमुना कालोनी, आगरा

उदाहरण ६. अस्पताल में रोगियों की दुर्दशा विषय पर एक शिकायती पत्र सम्पादक के नाम लिखिए।

सेवा में,
          सचिव
          स्वास्थ्य मन्त्रालय
          उ.प्र. शासन, लखनऊ
दिनांक २६.६.२००२

विषय – अस्पताल में रोगियों की दुर्दशा

महोदय,
          स्थानीय सरोजिनी नायडू अस्पताल में भ्रष्टाचार एवं अव्यवस्था होने के कारण रोगियों की दुर्दशा हो रही है। शासन की ओर से यद्यपि गरीब रोगियों के लिए मुफ्त औषधि एवं मुफ्त भोजन की व्यवस्था की जाती है, परन्तु इस अस्पताल में यह सुविधा नहीं दी जा रही है। डॉक्टर लोग सरकारी दवा को बाजार में बेच देते हैं, जिससे रोगियों को वांछित औषधि बाजार से खरीदने को विवश होना पड़ता है।
          रोगियों के खान-पान की व्यवस्था भी शोचनीय है। दूध इतना पतला है कि लगता है कि पानी में दूध मिलाया गया है। सब्जियों में पानी की मात्रा अधिक है तो चपातियों में कंकड़ खिलाये जा रहे हैं। चिकित्सालय अधीक्षक से शिकायत करने पर भी कोई सन्तोषजनक उत्तर नहीं मिलता। बेचारे रोगी और उनके तीमारदार, डॉक्टरों, नर्सों और कर्मचारियों की दया पर निर्भर हैं। डॉक्टर समय पर मरीज को देखने को राउण्ड नहीं लेते और नर्से सेवा करना तो दूर रहा, बात करते हुए खाने को दौड़ती हैं। रोगियों के साथ उनका व्यवहार सहानुभूति से रहित होने के साथ-साथ द्वेषपूर्ण एवं रूखा है। वार्डबॉय एवं जमादार तक पैसा देने पर ही सीधे मुंह बात करते हैं।
          मैं इस पत्र के माध्यम से आपसे अनुरोध करता हूं कि सरोजिनी नायडू अस्पताल, आगरा की दशा को सुधारने के लिए अविलम्ब एक जांच कमेटी की नियुक्ति करें, जो उक्त आरोपों की जांच कर दोषी व्यक्तियों को दण्डित करे तथा अस्पताल की व्यवस्था को सुधार कर रोगियों को राहत दिलाये।

दिनांक २६.६.२००२
प्रतिलिपि प्रेषित माननीय स्वास्थ्य मंत्री,
उ. प्र. सरकार, लखनऊ
भवदीय
शिवशंकर शर्मा
२८, सूर्यनगर, आगरा

उदाहरण ७. बस परिचालक की अभद्रता पर एक शिकायती पत्र उच्चाधिकारियों को लिखिए।

सेवा में,
          क्षेत्रीय प्रबन्धक
          उत्तर प्रदेश परिवहन निगम
          आगरा
२/२४, आर्य नगर
फीरोजाबाद
दिनांक १८-८-२०१९

विषय – बस परिचालक की अभद्रता

महोदय,
          मैं आपके समाचार पत्र के माध्यम से रोडवेज के बस कन्डक्टरों द्वारा यात्रियों के साथ प्रतिदिन की जाने वाली अभद्रता की ओर अधिकारियों का ध्यान दिलाना चाहूंगा। दिनांक १६-८-२०१९ को मैं आगरा से फीरोजाबाद आने के लिए बस सं. यू. पी. ८०, ३०९० में बैठ गया। परिचालक को मैंने बीस रुपये का नोट दिया, पर उसने दो रुपये खुले मांगे। मेरे द्वारा यह कहने पर कि खुले रुपये मेरे पास नहीं है, आपके पास दूसरे यात्रियों के द्वारा दिये गये खुले रुपये हैं ही, अतः आप मुझे तीन रुपये दे दें और सत्रह रुपये काट लें, उसने कहा कि ये रुपये आपके लिए नहीं हैं, आपको यदि इस बस में जाना है तो खुले रुपये देने ही होंगे। मैंने उससे अपनी विवशता प्रकट की, किन्तु उसने एक न सुनी तथा उसने मुझे चलती बस में से उतर जाने को कहा। मेरे द्वारा इन्कार करने पर उसने गाली-गलौज की और हाथापाई पर उतर आया। यदि अन्य यात्री हस्तक्षेप न करते तो मार-पीट की नौबत भी आ जाती।
          क्या सरकारी, कर्मचारी का जनता के प्रति यह व्यवहार उचित है ? क्या यात्री का कोई अधिकार नहीं है और क्या लोक सेवक में विनम्रता नहीं होनी चाहिए ? ये ऐसे प्रश्न हैं, जिनका उत्तर खोज रहा हूं। मैं इस पत्र के माध्यम से रोडवेज के अधिकारियों से आग्रह करूंगा कि वे दोषी बस परिचालक को दण्ड दें, जिससे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

प्रतिलिपि प्रेषित
माननीय परिवहन मंत्री,
उ. प्र. सरकार, लखनऊ
भवदीय
राम प्रताप गुप्ता
दिनांक १८-८-२०१९