यमक अलंकार
यमक अलंकार में किसी काव्य का सौन्दर्य बढ़ाने के लिए एक शब्द की बार-बार आवृति होती है। प्रयोग किए गए शब्द का अर्थ हर बार अलग होता है। शब्द की दो बार आवृति होना वाक्य का यमक अलंकार के अंतर्गत आने के लिए आवश्यक है।यमक अलंकार की परिभाषा
यमक शब्द का अर्थ होता है – दो, जब एक ही शब्द ज्यादा बार प्रयोग हो पर हर बार अर्थ अलग-अलग आये वहाँ पर यमक अलंकार होता है। अर्थात जिस प्रकार अनुप्रास अलंकार में किसी एक वर्ण की आवृति होती है उसी प्रकार यमक अलंकार में किसी काव्य का सौन्दर्य बढ़ाने के लिए एक शब्द की बार-बार आवृति होती है। यह अलंकार, Hindi Grammar के Alankar के शब्दालंकार के भेदों में से एक हैं।यमक अलंकार का उदाहरण
1.
माला फेरत जग गया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर।
पद्य में ‘मनका’ शब्द का दो बार प्रयोग किया गया है। पहली बार ‘मनका’ का आशय माला के मोती से है और दूसरी बार ‘मनका’ से आशय है मन की भावनाओ से।कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर।
2.
कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय।
या खाए बौरात नर या पा बौराय।।
‘कनक’ शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है। प्रथम कनक का अर्थ ‘सोना’ और दुसरे कनक का अर्थ ‘धतूरा’ है।या खाए बौरात नर या पा बौराय।।
3.
काली घटा का घमंड घटा।
Easy Examples of Yamak Alankar
4.
तीन बेर खाती थी वह तीन बेर खाती है।
5.
ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी।
ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती है।।
6.
ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती है।।
किसी सोच में हो विभोर साँसें कुछ ठंडी खिंची।
फिर झट गुलकर दिया दिया को दोनों आँखें मिंची।।
7.
फिर झट गुलकर दिया दिया को दोनों आँखें मिंची।।
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डारि दै, मन का मनका फेर।।
8.
कर का मनका डारि दै, मन का मनका फेर।।
केकी रव की नुपुर ध्वनि सुन,
जगती जगती की मूक प्यास।
9.
जगती जगती की मूक प्यास।
बरजीते सर मैन के, ऐसे देखे मैंन
हरिनी के नैनान ते हरिनी के ये नैन।
10.
हरिनी के नैनान ते हरिनी के ये नैन।
तोपर वारौं उर बसी, सुन राधिके सुजान।
तू मोहन के उर बसी ह्वे उरबसी सामान।
12.
तू मोहन के उर बसी ह्वे उरबसी सामान।
जेते तुम तारे तेते नभ में न तारे हैं।
13.
भर गया जी हनीफ़ जी जी कर,
थक गए दिल के चाक सी सी कर।
यों जिये जिस तरह उगे सब्ज़,
रेग जारों में ओस पी पी कर।।
14.
थक गए दिल के चाक सी सी कर।
यों जिये जिस तरह उगे सब्ज़,
रेग जारों में ओस पी पी कर।।
कहै कवि बेनी बेनी ब्याल की चुराई लीनी
15.
ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी।
ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती है।।
ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती है।।
यमकालंकारः संस्कृत
'अर्थे सत्यर्थभिन्नानां वर्णानां सा पुनः श्रुतिः' -जिस काव्य में एक शब्द कई बार आकर अलग-अलग अर्थ दे, वहाँ यमक अलंकार माना जाता है। इस अलंकार में और श्लेष अलंकार में अनेकार्थी शब्दों का प्रयोग हुआ करता है, इसलिए ऐसे शब्दों की जानकारी अपेक्षित है।उदाहरणस्वरूप :
1.
सन्नारीभरणोमायमाराध्य विधुशेखरम् ।।
सन्नारीभरणोऽमायस्ततस्त्वं पृथिवीं जय ।।
2. सन्नारीभरणोऽमायस्ततस्त्वं पृथिवीं जय ।।
विनायमेनोनयताऽसुखादिना विना यमेनोनयता सुखादिना।
महाजनोऽदीयत मानसादरं महाजनोदीयतमानसादरम् ।।
3. महाजनोऽदीयत मानसादरं महाजनोदीयतमानसादरम् ।।
अनन्तमहिमव्याप्तविश्वां वेधा न वेद याम् ।
या च मातेव भजते प्रणते मानवे दयाम् ।।
या च मातेव भजते प्रणते मानवे दयाम् ।।
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