विभावना अलंकार
परिभाषा - जहाँ पर कारण के न होते हुए भी कार्य का हुआ जाना पाया जाए वहाँ पर विभावना अलंकार होता है। अर्थात हेतु क्रिया (कारण) का निषेध होने पर भी फल की उत्पत्ति विभावनालंकार है।यह अलंकार, Hindi Grammar के Alankar के भेदों में से एक हैं।
विभावना अलंकार के उदाहरण
बिनु पग चलै सुनै बिनु काना।
कर बिनु कर्म करै विधि नाना।
आनन रहित सकल रस भोगी।
बिनु वाणी वक्ता बड़ जोगी।
कर बिनु कर्म करै विधि नाना।
आनन रहित सकल रस भोगी।
बिनु वाणी वक्ता बड़ जोगी।
विभावनालंकारः संस्कृत
"क्रियायाः प्रतिषेधेऽपि फलव्यक्तिर्विभावना।हेतुरूप क्रियाया निषेधेऽपि तत्फलप्रकाशनं विभावना।"
हेतु क्रिया (कारण) का निषेध होने पर भी फल की उत्पत्ति विभावनालंकार है।
उदाहरणस्वरूप :
कसमितलताभिरहताऽप्यधत रुजमलिकलैग्दष्टापि।
परिवर्तते स्म नलिनीलहरीभिरलोलिताप्यघूर्णतसा ।
स्पष्टीकरण– यहाँ लताओं की चोट पीड़ा का हेतु हो सकती थी, भौरे का काटना तड़पने और
कमलिनी की लहरों के चक्कर में फंसना चक्कर आने का कारण हो सकता था; परंतु
उन कारणों का निषेध करने पर भी कार्य का प्रकाशन किया गया है।
परिवर्तते स्म नलिनीलहरीभिरलोलिताप्यघूर्णतसा ।
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