प्रमुख संप्रदाय / वाद एवं उनके प्रवर्तक – Sampraday Vad Pravartak

SAMPRADAY EVAM PRAVARTK

संप्रदाय या वाद

एक ही वर्ग या धर्म की अलग-अलग विचारधारा मानने वालों को सम्प्रदाय कहते है। सम्प्रदाय कई प्रकार के होते हैं। जैसे धर्मो के संप्रदाय हिंदू, बौद्ध, ईसाई, जैन, इस्लाम आदी धर्मों में मौजूद है। सम्प्रदाय के अन्तर्गत आराध्य परम्परा चलती है जो गुरु द्वारा प्रतिपादित परम्परा को पुष्ट करती है। हिन्दी एवं अन्य भाषा के काव्यशास्त्र में कई वादों या संप्रदायों का जन्म हुआ। हिन्दी एवं अन्य काव्यशास्त्र के प्रमुख संप्रदाय या वाद एवं उनके प्रवर्तक के बारे में नीचे दिये हुए है।

संप्रदाय या वाद एवं प्रवर्तक

संस्कृत काव्यशास्त्र संप्रदाय एवं प्रवर्तक

क्रम संस्कृत काव्यशास्त्र प्रवर्तक
1. रस संप्रदाय भरत मुनि
2. अलंकार-संप्रदाय भामह, मम्मट
3. रीति-संप्रदाय दण्डी, वामन
4. ध्वनि-संप्रदाय आनंदवर्धन
5. वक्रोक्ति-संप्रदाय कुन्तक
6. औचित्य-संप्रदाय क्षेमेन्द्र

हिन्दी काव्यशास्त्र संप्रदाय एवं प्रवर्तक

क्रम हिन्दी काव्यशास्त्र प्रवर्तक
7. रीतिवाद केशवदास (शुक्ल के अनुसार चिंतामणि)
8. स्वच्छंदतावाद श्रीधर पाठक
9. छायावाद जय शंकर प्रसाद
10. हालावाद हरिवंश राय बच्चन
11. प्रयोगवाद ‘अज्ञेय’
12. प्रपद्यवाद या नकेनवाद नलिन विलोचन शर्मा, केसरी कुमार, नरेश
13. मांसलवाद रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’
14. कैप्सूलवाद ओकार नाथ त्रिपाठी

पाश्चात्य काव्यशास्त्र संप्रदाय एवं प्रवर्तक

क्रम पाश्चात्य काव्यशास्त्र प्रवर्तक
15. औदात्यवाद लोंजाइनस (3री सदी ई०)
16. अस्तित्ववाद सॉरन कीर्कगार्द (1813-55)
17. माक्र्सवाद कार्ल मार्क्स (1818-83)
18. मनोविश्लेषणवाद फ्रॉयड (1856-1939)
19. प्रतीकवाद जीन मोरियस (1856-1910)
20. अभिव्यंजनावाद बेनदेतो क्रोचे (1866-1952)
21. बिम्बवाद टी०ई० हयूम (1883-1917)

विभिन्न धर्मों के संप्रदाय

  • हिन्दू धार्मिक सम्प्रदाय – शैव सम्प्रदाय, वैष्णव सम्प्रदाय, शाक्त सम्प्रदाय, सौर सम्प्रदाय, गाणपत सम्प्रदाय(मत्स्येन्द्रमत नाथ सम्प्रदाय, शांकरमत दशनामी सम्प्रदाय) श्री कृष्ण प्रणामी सम्प्रदाय (निजानंद सम्प्रदाय )
  • बौद्ध धर्म के सम्प्रदाय – थेरवाद, महायान, वज्रयान, झेन, नवयान
  • इस्लाम के सम्प्रदाय – सुन्नी, शिया
  • जैन धर्म के सम्प्रदाय – श्वेतांबर, दिगंबर
  • ईसाई धर्म के सम्प्रदाय – रोमन कैथोलिक

संप्रदाय या वाद एवं उनके प्रवर्तक का महत्व

हिन्दी एवं अन्य भाषा के काव्यशास्त्र के प्रमुख संप्रदाय या वाद एवं उनके प्रवर्तक के बारे विभिन्न हिन्दी की परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते हैं। यदि जानकारी अच्छी लगी हो तो अपने मित्रों के साथ अवश्य शेयर करें।