प्रमुख गुरु और शिष्य – हिन्दी

GURU AUR SHISHYA

गुरु

गुरु शब्द का अर्थ: गुरु शब्द दो अक्षरों से मिलकर बना है- गु + रू। ‘गु’ शब्द का अर्थ है अंधकार (अज्ञान) और ‘रु’ शब्द का अर्थ है प्रकाश (ज्ञान)। अर्थात अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला ही गुरु कहलाता है। साधारण शब्दों में कहे तो जो हमें ज्ञान देता है वही गुरु होता है।

हमारे दैनिक जीवन में कई जाने-अनजाने गुरु होते हैं जिनमें हमारे माता-पिता का स्थान सर्वोपरि है फिर शिक्षक और अन्य। अर्थात जो भी हमें शिक्षा या कोई ज्ञान की बात वाताए वही सच्चा गुरु होता है। गुरु के लिए उम्र की कोई समय सीमा नहीं होती है। गुरु हमसे उम्र में छोटा भी हो सकता है या बड़ा भी हो सकता है, अर्थात गुरु, गुरु होता हैं चाहे उम्र में हमसे छोटा हो या बड़ा।

शिष्य

गुरु क्या है, कैसा है और कौन है यह जानने के लिए उनके शिष्यों को जानना जरूरी होता है और यह भी कि गुरु को जानने से शिष्यों को जाना जा सकता है, लेकिन ऐसा सिर्फ वही जान सकता है जो कि खुद गुरु है या शिष्य। गुरु वह है ‍जो जान-परखकर शिष्य को दीक्षा देता है और शिष्‍य भी वह है जो जान-परखकर गुरु बनाता है। गुरु का संबंध शिष्य से होता है न कि विद्यार्थी से। आश्रमों में गुरु-शिष्य परम्परा का निर्वाह होता रहा है।

गुरु और शिष्य सूची

क्रम गुरु शिष्य
1. गोविन्द योगी शंकराचार्य
2. मत्स्येंद्रनाथ/मछंदर नाथ गोरखनाथ
3. यादव प्रकाश रामानुज आचार्य
4. नारद मुनि निम्बार्क आचार्य
5. राघवानंद रामानंद
6. रामानंद 12 प्रसिद्ध शिष्य–अनंतादास, सुखानंद, सुरसुरानंद, नरहयानंद, भावानंद, पीपा (राजपूत राजा), कबीर (जुलाहा), सेना (नाई), धन्ना (जाट किसान), रैदास (चमार), पद्मावती, सुरसरी
7. विष्णु स्वामी वल्लभाचार्य
8. वल्लभाचार्य सूरदास
9. रैदास मीराबाई
10. बाबा नरहरिदास तुलसीदास
11. अग्रदास नाभादास
12. शेख मोहिदी जायसी
13. हाजी बाबा उसमान
14. महावीर प्रसाद द्विवेदी मैथिली शरण गुप्त, प्रेमचंद, ‘निराला’

परीक्षा की द्रष्टि से गुरु और शिष्य का महत्व

हिन्दी की विभिन्न परीक्षाओं में गुरु और शिष्यों से संबन्धित अक्सर प्रश्न पूछे जाते हैं। अतः गुरु और शिष्य के जोड़े विभिन्न परीक्षाओं की द्रष्टि से बहुत ही उपयोगी हैं। इन्हे याद कर लें या अपनी नोटबूक पर लिख लें।