एकांकी – एकांकी क्या है? – एकांकी नाटक

ekanki - pramukh ekanki aur lekhak

एकांकी

हिन्दी में ‘एकांकी’ जो अंग्रेजी ‘वन एक्ट प्ले‘ के लिए हिन्दी नाम है। आधुनिक काल में हिन्दी के अंग्रेजी से संपर्क का परिणाम है, पर भारत के लिए यह साहित्य रूप नया बिल्कुल नहीं है। इसीलिए प्रो. अमरनाथ के इस कथन- एकांकी नाटक हिन्दी में सर्वथा नवीनतम कृति है, “इसका जन्म हिन्दी साहित्य में अंग्रेजी के प्रभाव के कुछ वर्ष पूर्व ही हुआ है।” वाक्य के विरोध में डॉ. सरनाम सिंह का कथन है कि यह मानना कितना भ्रामक होगा कि हिन्दी एकांकी के सामने कोई भारतीय आदर्श ही न था।

आधुनिक किस्म के हिन्दी एकांकी की पहली रचना जय शंकर प्रसाद के “एक घूंट” को स्वीकार किया जाता है।

एकांकी का स्वरूप

एकांकी के आधुनिक स्वरूप का प्रारम्भ इंग्लैण्ड में 10वीं शती के अंत में ‘कर्टेन रेजर‘ से मानी जाती है। धीरे-धीरे वह ‘कर्टेन रेजर’ इतना अधिक प्रसिद्ध हुआ कि इसने एक स्वतंत्र विधा का ही स्थान ले लिया।

एकांकी का आधार एक मुख्य विचार अथवा सुनिश्चित लक्ष्य होना चाहिए। उसमें अनेक स्थलों, अनेक भावों और अनेक चित्रवृत्तियों के सम्मिश्रण से बचना चाहिए। यह भी आवश्यक है कि जीवन के जिस पक्ष, क्षण अथवा समस्या को एकांकीकार प्रस्तुत करना चाहता है सभी पात्र, कथोपकथन और वातावरण उसकी सफलता में सहयोग दें। सेठ गोविन्ददास के शब्दों में कहें तो सारे नाटक पर एकता का वायुमण्डल होना चाहिए।

एकांकी यथासंभव संक्षिप्त होना चाहिए। 35-40 मिनट से अधिक के एकांकी अपना प्रभाव खो बैठते हैं। इसमें संकलनत्रय का पूर्ण निर्वाह होना चाहिए।

इस संबंध में सेठ गोविंददास ने लिखा है-“वही संकलनत्रय कुछ फेरफार के साथ एकांकी नाटक के लिए जरूरी चीज है। संकलनत्रय में भी संकलन ऐक्य अर्थात् नाटक का ही एक समय की घटना तक परिमित रहना तथा एक ही कृत्य के संबंध में होना एकांकी के लिए अनिवार्य है। एकांकी की कथा गतिशील होनी चाहिए और उसे श्रीप्रगति से अपने चरमबिंदु की ओर बढ़ना चाहिए। उसमें आश्चर्य, कौतूहल और जिज्ञासा की स्थिति भी अनिवार्य है। पात्र संख्या में कम, परन्तु सजाव होने चाहिए। कथोपकथन छोटे, सरल और कथानक को आगे बढ़ाने वाले हों। अभिनेता किसी भी नाटक और एकांकी का प्राण तत्त्व है ही।

प्रमुख एकांकी लेखक

आधुनिक किस्म के हिन्दी एकांकी का प्रारम्भ जय शंकर प्रसाद के “एक घूंट” से स्वीकार किया जाता है। आधुनिक युग में एकांकी साहित्य की रचना कर जिन रचनाकारों ने हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया है, उनमें प्रमुख हैं- राम कुमार वर्मा (रेशमी टाई, चारुमित्रा), भुवनेश्वर (तांबे के कीड़), उदय शंकर भट्ट (पर्दे के पीछे), उपेन्द्र नाथ अश्क (साह को जुकाम है), सेठ गोविन्ददास, हरिकृष्ण प्रेमी, विष्णु प्रभाकर, मोहन राकेश, धर्मवीर भारती, प्रभाकर माचवे आदि।

उदाहरण

क्रम एकांकी एकांकीकार
1. तन-मन-धन गुसाँई जी के अर्पण राधाचरण गोस्वामी
2. शिक्षादान बालकृष्ण भट्ट
3. जनेऊ का खेल देवकीनंदन खत्री
4. चार वेचारे, अफजल बध, भाई मियाँ ‘उग्र’
5. आनरेरी मजिस्ट्रेट, राजपूत की हार, प्रताप प्रतिज्ञा सुदर्शन
6. एक घूँट जयशंकर प्रसाद
7. रेशमी टाई, चारुमित्रा, विभूति, सप्तकिरण, औरंगजेब की आखिरी रात, पृथ्वी राज की आँखें, एक तोले अफीम की कीमत, दीपदान, दस मिनट, चंगेज खाँ, कौमुदी महोत्सव, मयूरपंख, जूही के फूल, 18 जुलाई की शाम, एक्ट्रेस डॉ० रामकुमार वर्मा
8. ताँबे के कीड़े, आजादी की नींद, सिकंदर, एक साम्यहीन साम्यवादी, प्रतिभा का विवाह, स्ट्राइक, बाजीराव की तस्वीर, फोटोग्राफर के सामने, लाटरी, श्यामा भुवनेश्वर
9. आत्मदान, दस हजार, एक ही कब्र में विस्फोट, समस्या का अंत, निर्दोष की रक्षा, बीमार का इलाज उदयशंकर भट्ट
10. लक्ष्मी का स्वागत, जोंक, अधिकार का रक्षक, अंधी गली, अंजो दीदी, सूखी डाली, स्वर्ग की झलक, भंवर, मोहब्बत, आपस का समझौता, छः एकांकी, साहब को जुकाम है, विवाह के दिन, देवताओं की छाया में अश्क

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