Darshan
दर्शन (Philosophy): दर्शन उस विधा को कहा जाता है जिसके द्वारा तत्व का साक्षात्कार हो सके, दर्शन का अर्थ है तत्व का साक्षात्कार; मानव के दुखों की निवृति के लिए या तत्व साक्षात्कार कराने के लिए ही भारत में दर्शन का जन्म हुआ है। हिन्दी साहित्य के प्रमुख दर्शन और उनके प्रवर्तक की सूची नीचे दी हुई है।
दर्शन और प्रवर्तक
क्रम |
दर्शन |
प्रवर्तक |
1. |
सांख्य |
कपिल |
2. |
योग |
पतंजलि |
3. |
न्याय |
अक्षपाद गौतम |
4. |
वैशेषिक |
उलूक कणद |
5. |
मीमांसा/पूर्व-मीमांसा |
जैमिनी |
6. |
वेदांत/उत्तर मीमांसा |
बादरायण |
7. |
लोकायत/बार्हस्पत्य |
चार्वाक (बृहस्पति का शिष्य) |
8. |
बौद्ध/क्षणिकवाद |
गौतम बुद्ध |
9. |
जैन/स्यादवाद |
महावीर |
10. |
अद्वैत मत (स्मृति/स्मार्त संप्रदाय) |
शंकराचार्य (भक्ति आंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार करने वाला) |
11. |
विशिष्टाद्वैत मत (श्री संप्रदाय) |
मानुज आचार्य (भक्ति आंदोलन का प्रारंभिक प्रतिपादक) |
12. |
द्वैताद्वैत/भेदाभेद मत (सनकादि/रसिक संप्रदाय) |
निम्बार्क आचार्य |
13. |
द्वैत मत (ब्रह्म संप्रदाय) |
मध्व आचार्य |
14. |
शुद्धाद्वैत मत (रूद्र संप्रदाय) |
विष्णु स्वामी |
15. |
पुष्टिमार्ग/शुद्धाद्वैत मत (रूद्र संप्रदाय) |
वल्लभ आचार्य |
16. |
अचिंत्यभेदाभेद मत (गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय) |
चैतन्य |
17. |
राधा वल्लभ संप्रदाय |
हित हरिवंश |
18. |
रामावत/रामानंदी संप्रदाय |
रामानंद |
19. |
कबीर पंथी संप्रदाय |
कबीर |
20. |
सिख मत (नानक पंथी संप्रदाय) |
नानक |
21. |
उदासी संप्रदाय |
श्रीचंद (गुरु नानक के पुत्र) |
22. |
बिश्नुई संप्रदाय |
जंभनाथ |
23. |
हरिदासी (सखी) संप्रदाय |
स्वामी हरिदास |
परीक्षा की द्रष्टि से दर्शन और प्रवर्तक का महत्व
हिन्दी साहित्य के प्रमुख दर्शन और उनके प्रवर्तक वहुत ही महत्वपूर्ण हैं। ये दर्शन और उनके प्रवर्तक विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। अतः इन्हे अपनी नोटबूक में लिख लें और याद कर लें। यदि जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर अवश्य करें।
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दर्शन और उनके प्रवर्तक