छेकानुप्रास अलंकार की परिभाषा
जहाँ पर स्वरुप और क्रम से अनेक व्यंजनों की आवृति एक बार हो वहाँ छेकानुप्रास अलंकार होता है वहाँ छेकानुप्रास अलंकार होता है। यह Alankar, शब्दालंकार के 5 भेदों में से Anupras Alankar का एक भेद हैं।छेकानुप्रास अलंकार का उदाहरण
रीझि रीझि रहसि रहसि हँसि हँसि उठै।
साँसैं भरि आँसू भरि कहत दई दई।।
साँसैं भरि आँसू भरि कहत दई दई।।
Chhekanupras alankar ka udaharan
रीझि रीझि रहसि रहसि हँसि हँसि उठै।
साँसैं भरि आँसू भरि कहत दई दई।।
साँसैं भरि आँसू भरि कहत दई दई।।
अनुप्रास अलंकार के भेद
- छेकानुप्रास अलंकार
- वृत्यानुप्रास अलंकार
- लाटानुप्रास अलंकार
- अन्त्यानुप्रास अलंकार
- श्रुत्यानुप्रास अलंकार
"कानन कठिन भयंकर भारी,
घोर घाम वारी ब्यारी।"
घोर घाम वारी ब्यारी।"
जे न मित्र दुख होहिं दुखारी, तिन्हहि विलोकत पातक भारी।
निज दुख गिरि सम रज करि जाना, मित्रक दुख रज मेरु समाना।।
निज दुख गिरि सम रज करि जाना, मित्रक दुख रज मेरु समाना।।
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