छायावादोत्तर युग या शुक्लोत्तर युग (1936 ई. के बाद) का साहित्य अनेक अमूल्य रचनाओं का सागर है, इतना समृद्ध साहित्य किसी भी दूसरी भाषा का नहीं है और न ही किसी अन्य भाषा की परम्परा का साहित्य एवं रचनाएँ अविच्छिन्न प्रवाह के रूप में इतने दीर्घ काल तक रहने पाई है; छायावादोत्तर युग या शुक्लोत्तर युग के कवि और उनकी रचनाएँ; छायावादोत्तर या शुक्लोत्तर युग की रचनाएँ और रचनाकार उनके कालक्रम की द्रष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं।
इस प्रष्ठ में छायावादोत्तर या शुक्लोत्तर युग का साहित्य, काव्य, रचनाएं, रचनाकार, साहित्यकार या लेखक दिये हुए हैं। छायावादोत्तर या शुक्लोत्तर युग की प्रमुख कवि, काव्य, गद्य रचनाएँ एवं रचयिता या रचनाकार विभिन्न परीक्षाओं की द्रष्टि से बहुत ही उपयोगी है।
छायावादोत्तर युग (1936 ई. के बाद)
सन् 1936 ईo से 1947 ईo तक के काल को शुक्लोत्तर युग/छायावादोत्तर युग कहा गया। छायावादोत्तर युग में हिन्दी काव्यधारा बहुमुखी हो जाती है-पुरानी काव्यधारा
- 'राष्ट्रीय सांस्कृतिक काव्यधारा' -सियाराम शरण गुप्त, माखन लाल चतुर्वेदी, दिनकर, बालकृष्ण शर्मा 'नवीन', सोहन लाल द्विवेदी, श्याम नारायण पाण्डेय आदि ।
- उत्तर-छायावादी काव्यधारा- निराला, पंत, महादेवी, जानकी वल्लभ शास्त्री आदि ।
नवीन काव्यधारा
- वैयक्तिक गीति कविता धारा (प्रेम और मस्ती की काव्य धारा)- बच्चन, नरेंद्र शर्मा, रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल', भगवती चरण वर्मा, नेपाली, आरसी प्रसाद सिंह आदि ।
- प्रगतिवादी काव्यधारा - केदारनाथ अग्रवाल, राम विलास शर्मा, नागार्जुन, रांगेय राघव, शिवमंगल सिंह 'सुमन', त्रिलोचन आदि ।
- प्रयोगवादी काव्य धारा - अज्ञेय, गिरिजा कुमार माथुर, मुक्तिबोध, भवानी प्रसाद मिश्र, शमशेर बहादुर
- नयी कविता काव्य धारा - सिंह, धर्मवीर भारती आदि।
छायावादोत्तर या शुक्लोत्तर युग के कवि और उनकी रचनाएँ
क्रम | रचनाकार | छायावादोत्तर युगीन रचना |
---|---|---|
1. | रामधारी सिंह 'दिनकर' | हुंकार, रेणुका, द्वंद्वगीत, कुरुक्षेत्र, इतिहास के आँसू, रश्मिरथी, धूप और धुआँ, दिल्ली, रसवंती, उर्वशी। |
2. | बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' | कुंकुम, उर्मिला, अपलक, रश्मिरेखा, क्वासि, हम विषपायी जनम के। |
3. | हरिवंशराय बच्चन' | मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, सूत की माला, निशा निमंत्रण, एकांत संगीत, सतरंगिनी, मिलन-यामिनी, आरती और अंगारे, आकुल-अंतर। |
4. | सुमित्रा नंदन पंत | शिल्पी, अतिमा, कला और बूढ़ा चाँद, लोकायतन, सत्यकाम। |
5. | जानकी वल्लभ शास्त्री | मेघगीत, अवंतिका। |
6. | नरेंद्र शर्मा | प्रभातफेरी, प्रवासी के गीत, पलाश वन, मिट्टी और फूल, कदलीवन। |
7. | रामेश्वर शुक्ल 'अंचल' | मधूलिका, अपराजिता, किरणबेला, लाल चूनर । |
8. | आरसी प्रसाद सिंह | कलापी, पांचजन्य। |
9. | केदारनाथ सिंह | नींद के बादल, फूल नहीं रंग बोलते हैं, अपूर्व, युग की गंगा । |
10. | नागार्जुन | प्यासी पथराई आँखें, युगधारा, भस्मांकुर, सतरंगे पंखों वाली, रत्नगर्भ, हरिजन गाथा (क.)। |
11. | रांगेय राघव | राह का दीपक, अजेय खंडहर, पिघलते पत्थर, मेधावी, पांचाली। |
12. | गिरिजाकुमार माथुर | मंजीर, कल्पांतर, शिलापंख चमकीले, नाश और निर्माण, मशीन का पुर्जा, धूप के धान, मैं वक्त के हूँ सामने, छाया मत छूना मन । |
13. | गजानन माधव 'मुक्तिबोध' | भूरी भूरी खाक धूल, चाँद का मुँह टेढ़ा है। |
14. | भवानीप्रसाद मिश्र | सतपुड़ा के जंगल, गीतफरोश, खुशबू के शिलालेख, बुनी हुई रस्सी, कालजयी, गांधी पंचशती, कमल के फूल, इदं न मम, चकित हैं दुःख, वाणी की दीनता। |
15. | सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' | भग्नदूत, चिंता, इत्यलम्, हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, इंद्रधनुष रौदे हुए ये, अरी ओ करुणा प्रभामय, आँगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी बार, क्योंकि मैं उसे जानता है, सागर-मुद्रा, पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ, महावृक्ष के नीचे, नदी की बौंक पर छाया, प्रिजन डेज एंड अदर पोएम्स (अंग्रेजी में), असाध्य वीणा, रूपाम्बरा। |
16. | धर्मवीर भारती | अंधायुग, कनुप्रिया, ठंडा लोहा, सात गीत वर्ष |
17. | शमशेर बहादुर सिंह | अमन का राग, चूका भी नहीं हूँ मैं, इतने पास अपने। |
18. | कुंवर नारायण | परिवेश, हम तुम, चक्रव्यूह, आत्मजयी, आमने-सामने। |
19. | नरेश मेहता | संशय की एक रात, वनपाखी सुनो, मेरा समर्पित एकांत, बोलने दो चीड़ को। |
20. | त्रिलोचन | मिट्टी की बारात, धरती, गुलाव और बुलबुल, दिगंत, ताप के ताये हुए दिन, सात शब्द, उसजनपद का कवि हूँ। |
21. | भारत भूषण अग्रवाल | कागज के फूल, जागते रहो, मुक्तिमार्ग, ओ अप्रस्तुत मन, उतना वह सूरज है। |
22. | दुष्यंत कुमार | साये में धूप, सूर्य का स्वागत, एक कंठ विषपायी, आवाज के घंटे। |
23. | प्रभाकर माचवे | जहाँ शब्द हैं, तेल की पकौड़ियाँ, स्वप्नभंग, अनुक्षण, मेपल। |
24. | रघुवीर सहाय | सीढ़ियों पर धूप में, आत्महत्या के विरुद्ध, लोग भूल गए हैं, मेरा प्रतिनिधि, हँसो हँसो जल्दी हँसो। |
25. | शंभूनाथ सिंह | मन्वंतर, खण्डित सेतु। |
26. | शिवमंगल सिंह 'सुमन' | हिल्लोल, जीवन के गान, प्रलय-सृजन, विश्वास बढ़ता ही गया । |
27. | शकुंतला माथुर | अभी और कुछ इनका, चाँदनी और चूनर, दोपहरी, सुनसान गाड़ी। |
28. | सर्वेश्वर दयाल सक्सेना | खूटियों पर टंगे लोग, कुआनो नदी, बाँस के पुल, काठ की घंटियाँ, एक सूनी नाव, गर्म हवाएँ, जंगल का दर्द। |
29. | विजयदेव नारायण साही | मछलीघर, संवाद तुम से साखी। |
30. | जगदीश गुप्त | नाव के पाँव, शब्दशः, हिमबिद्ध, युग्म। |
31. | हरिनारायण व्यास | मृग और तृष्णा, एक नशीला चाँद, उठे बादल झुके बादल, त्रिकोण पर सूर्योदय। |
32. | श्रीकांत वर्मा | मायादर्पण, मगध, शब्दों की शताब्दी, दीनारंभ। |
33. | राजकमल चौधरी | कंकावती, मुक्तिप्रसंग। |
34. | अशोक वाजपेयी | एक पतंग अनंत में, शहर अब भी संभावना है। |
35. | बालस्वरूप राही | जो नितांत मेरी है। |
36. | 'धूमिल' | संसद से सड़क तक, कल सुनना मुझे, सुदामा पाण्डे का प्रजातंत्र |
37. | अजित कुमार | अंकित होने दो, अकेले कंठ की पुकार। |
38. | रामदरश मिश्र | पक गई है धूप, वैरंग बेनाम चिट्ठियाँ । |
39. | डॉ० विनय | एक पुरुष और, कई अंतराल, दूसरा राग। |
40. | जगदीश चतुर्वेदी | इतिहास हंता । |
41. | प्रमोद कौसवाल | अपनी तरह का आदमी। |
42. | संजीव मिश्र | कुछ शब्द जैसे मेज। |
43. | 'निराला' | कुकुरमुत्ता, गर्म पकौड़ी, प्रेम-संगीत, रानी और कानी खजोहरा, मास्को डायलाग्स, स्फटिक शिला, नये पत्ते, गीत गुंज, सांध्य काकली(प्रकाशन मरणोपरांत-1969 ई०)। |
44. | उदयप्रकाश | सुनो कारीगर, क से कबूतर। |