भाषा परिवार
जिस प्रकार मनुष्यों का परिवार होता है, उसी प्रकार भाषाओं का भी परिवार होता है। ऐसी भाषाओं का समूह, जिनका जन्म किसी एक मूल भाषा से हुआ हो, ‘भाषा परिवार' कहलाता है। एक ही मूल भाषा से जन्म लेने के कारण इनमें कई समानताएँ होती हैं।दुनियाँ के प्रमुख भाषा परिवार
विश्व की लगभग 3000 भाषाओं को 12 मुख्य भाषा परिवारों में विभाजित किया गया ये परिवार हैं-- भारत-यूरोपीय -भारोपीय
- द्रविड़,
- चीनी,
- सैमेटिक,
- टैमेटिक,
- आग्नेय,
- यूराल, अल्टाइक,
- बाँटू,
- अमेरिका (रेड इंडियन),
- काकेशस,
- सूडानी,
- बुशमैन
भारत में संसार के चार भाषा परिवारों-भारोपीय, द्रविड, तिब्बत-बर्मी और आग्नेय की अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। हिन्दी तथा उत्तर भारत की अधिकांश भाषाएँ (गुजराती, सिंधी, कश्मीरी; उड़िया, असमिया, उर्दू, मराठी, पंजाबी, बांग्ला आदि) आर्य परिवार की भाषाएँ मानी जाती हैं। इनका मूल स्रोत संस्कत है। ग्रीक, ईरानी, अंग्रेजी, जर्मन, रूसी आदि अनेक भाषाएँ भी उसी मूल भाषा से विकसित हुई हैं। जिससे संस्कृत विकसित हुई है।
उत्तर भारत की अधिकांश भाषाओं और अंग्रेजी, जर्मन, फ्रांसीसी, रूसी, फारसी, ग्रीक आदि भाषाओं को भारत-यूरोपीय भाषा परिवार की वे भाषाएँ जो भारत में बोली जाती हैं, भारतीय आर्य भाषाएँ कही जाती हैं। भारत में एक दुसरा भाषा परिवार द्रविड़ कुल का है, जिसकी मुख्य भाषाएँ तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ हैं। इन चारों भाषाओं में भी संस्कृत के शब्द प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। अत: ये भी भारत की अन्य भाषाओं से दूर नहीं हैं।
वस्तुतः हजारों साल तक साथ-साथ रहने और विकसित होने के कारण हमारी भाषाओं में ध्वनि, शब्द और व्याकरणिक व्यवस्थाओं में अनेक समानताएँ विकसित हो गई। हैं। इसी कारण 'बहुभाषी देश' होते हुए भी अनेक देशी-विदेशी भाषा वैज्ञानिकों ने भारत को 'एक भाषिक क्षेत्र' कहा है। तात्पर्य यह है कि अनेक भाषाएँ होने पर भी यहाँ भाषिक और सांस्कृतिक एकता पाई जाती है और यही अनेकता में एकता हमारी भारतीय संस्कृति की सर्वप्रमुख विशेषता है।