Hindi Vyakaran – सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण – Hindi Grammar

हिन्दी व्याकरण क्या है? – What is Hindi Grammar?

Hindi Grammar - Hindi Vyakaran
Hindi Grammar

Hindi Grammar (हिन्दी व्याकरण): हिन्दी व्याकरण हिंदी भाषा को शुद्ध रूप में लिखने और बोलने संबंधी नियमों का बोध करानेवाला शास्त्र है। यह हिंदी भाषा के अध्ययन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें हिंदी के सभी स्वरूपों का चार खंडों के अंतर्गत अध्ययन किया जाता है; यथा- वर्ण विचार के अंतर्गत ध्वनि और वर्ण तथा शब्द विचार के अंतर्गत शब्द के विविध पक्षों संबंधी नियमों और वाक्य विचार के अंतर्गत वाक्य संबंधी विभिन्न स्थितियों एवं छंद विचार में साहित्यिक रचनाओं के शिल्पगत पक्षों पर विचार किया गया है।

Hindi Vyakaran-हिंदी व्याकरण – Hindi Grammar PDF

हिंदी व्याकरण (Hindi Grammar) किसी भी व्यक्ति या छात्र के लिए आवश्यक है जो हिन्दी भाषा को धाराप्रवाह बोलना, पढ़ना और लिखना चाहता है, और यह भारत और उसके बाहर भाषा शिक्षा का एक अभिन्न अंग है। (Hindi Grammar PDF)

Index of Hindi Vyakaran

हिंदी व्याकरण से संबंधित विषयों के नोट्स जैसे भाषा, वर्णमाला, संज्ञा, सर्वनाम, संधि, समास, पर्यायवाची, मुहावरे, रस, छंद, अलंकार आदि। Hindi की परीक्षाओं से सम्बंधित Hindi Grammar के महत्वपूर्ण विषयों पर notes निम्न हैं:

भाषा (Language): इतिहास और उत्पत्ति

भाषा मुख से उच्चारित होनेवाले शब्दों और वाक्यों आदि का वह समूह है जिनके द्वारा मन की बात बतलाई जाती है। किसी भाषा की सभी ध्वनियों के प्रतिनिधि स्वन एक व्यवस्था में मिलकर एक सम्पूर्ण भाषा की अवधारणा बनाते हैं। व्यक्त नाद की वह समष्टि जिसकी सहायता से किसी एक समाज या देश के लोग अपने मनोगत भाव तथा विचार एक दूसरे पर प्रकट करते हैं। हिंदी व्याकरण का अध्ययन करने से पहले भाषा को जानना अति आवश्यक होता है।

हिन्दी भाषा (Hindi Language)

हिन्दी विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की राजभाषा है। हिंदी भाषा का वर्णन भारतीय संविधान के भाग 17 एवं 8वीं अनुसूची में अनुच्छेद 343 से 351 में है। 8वीं अनुसूची में शामिल भारतीय भाषाओं की संख्या 22 है। हिन्दी भारत में सम्पर्क भाषा का कार्य करती है और कुछ हद तक पूरे भारत में आमतौर पर एक सरल रूप में समझी जानेवाली भाषा है। अंग्रेजी भाषा के साथ, हिंदी भारत की आधिकारिक भाषा है। हिन्दी भाषा भारत गणराज्य की 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक है।

वर्ण (Sound) – हिन्दी व्याकरण

हिंदी भाषा के एक अक्षर को वर्ण कहते हैं और इन अक्षरों के समूह को वर्णमाला कहते हैं । (A letter is known as ‘Varn’ (वर्ण) and the alphabet chart is known as ‘varnamala’.) हिंदी व्याकरण में इसे ध्वनि भी कहते हैं। हिन्दी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण होते है, जो इस प्रकार हैं- अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ अं अः क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ; ढ़, श्र।

शब्द (Word): उत्पत्ति और प्रकार हिंदी व्याकरण

शब्द विचार हिंदी व्याकरण (Hindi Grammar) का दूसरा खंड है जिसके अंतर्गत शब्द की परिभाषा, भेद-उपभेद, संधि, विच्छेद, रूपांतरण, निर्माण आदि से संबंधित नियमों पर विचार किया जाता है। एक या अधिक वर्णों से बनी हुई स्वतंत्र सार्थक ध्वनि शब्द कहलाती है।

पद (Phrases): सार्थक शब्द हिन्दी व्याकरण

वाक्य में प्रयुक्त शब्द को पद कहा जाता है वाक्य में प्रयुक्त शब्दों में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया विशेषण, संबंधबोधक आदि अनेक शब्द होते हैं। हिंदी व्याकरण में पद परिचय में यह बताना होता है कि इस वाक्य में व्याकरण की दृष्टि से क्या-क्या प्रयोग हुआ है।

काल (Tense): काल हिन्दी व्याकरण

क्रिया के जिस रूप से उसके होने के समय का बोध होता है, उसे काल कहा जाता है। Hindi Grammar में काल के मुख्यतः तीन प्रकार होते हैं- वर्तमान काल, भूतकाल, और भविष्यत् काल।

वाक्य (Sentence): सार्थक वाक्य हिंदी व्याकरण

दो या दो से अधिक पदों के सार्थक समूह को, जिसका पूरा पूरा अर्थ निकलता है, वाक्य कहते हैं। हिंदी व्याकरण में उदाहरण के लिए ‘सत्य की विजय होती है।’ एक वाक्य है क्योंकि इसका पूरा पूरा अर्थ निकलता है किन्तु ‘सत्य विजय होती।’ वाक्य नहीं है क्योंकि इसका अर्थ नहीं निकलता है।

विराम चिन्ह हिन्दी व्याकरण

विराम शब्द वि + रम् + घं से बना है और इसका मूल अर्थ है “ठहराव”, “आराम” आदि के लिए। जिन सर्वसंमत चिन्हों द्वारा, अर्थ की स्पष्टता के लिए वाक्य को भिन्न भिन्न भागों में बाँटते हैं, व्याकरण या रचनाशास्त्र में उन्हें “विराम” कहते हैं। हिंदी व्याकरण में “विराम” का ठीक अंग्रेजी समानार्थी “स्टॉप” (Stop) है, किंतु प्रयोग में इस अर्थ में “पंक्चुएशन” (Punctuation) शब्द मिलता है। “पंक्चुएशन” का संबंध लैटिन शब्द (Punctum) शब्द से है, जिसका अर्थ “बिंदु” (Point) है। इस प्रकार “पंक्चुएशन” का यथार्थ अर्थ बिंदु रखना” या “वाक्य में बिंदु रखना” है।

संज्ञा (Noun) हिंदी व्याकरण

जिस शब्द से किसी व्यक्ति,वस्तु,स्थान की संपूर्ण जाति का बोध हो हिंदी व्याकरण (Hindi Grammar) में उसे संज्ञा कहते हैं। जैसे – मनुष्य, नदी,पर्वत, पशु, पक्षी, लड़का, कुत्ता, गाय, घोड़ा, भैंस, बकरी, नारी, गाँव, शहर, भवन आदि।

सर्वनाम (Pronoun) – हिन्दी व्याकरण

यह संज्ञा के स्थान पर आता है। हिंदी व्याकरण (Hindi Grammar) में इसका प्रयोग व्यक्तिवाचक संज्ञा की जगह पर किया जाता है। इसका प्रयोग स्त्री और पुरुष दोनों के लिए किया जाता है। जिस सर्वनाम का प्रयोग सुननेवाले यानि श्रोता , कहने वाले यानि वक्ता और किसी और व्यक्ति के लिए होता है उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे :- मैं , तू , वह , हम , वे , आप , उसे , उन्हें , ये , यह आदि।

विशेषण – हिन्दी व्याकरण

संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण आदि) बताने वाले शब्द हिंदी व्याकरण में विशेषण कहलाते हैं। जैसे – बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर, टेढ़ा-मेढ़ा, एक, दो आदि।

क्रिया – हिंदी व्याकरण

जिस शब्द अथवा शब्द-समूह के द्वारा किसी कार्य के होने अथवा किये जाने का बोध हो हिंदी व्याकरण में उसे क्रिया कहते हैं। जैसे- सीता ‘नाच रही है’।

क्रिया विशेषण – हिन्दी व्याकरण

जिन शब्दों से क्रिया की विशेषता का पता चलता है हिंदी व्याकरण में उन्हें क्रियाविशेषण कहते हैं। जैसे – वह धीरे-धीरे चलता है। इस वाक्य में चलता क्रिया है और धीरे-धीरे उसकी विशेषता।

समुच्चय बोधक – हिंदी व्याकरण

जिन शब्दों की वजह से दो या दो से ज्यादा वाक्य, शब्द, या वाक्यांश जुड़ते हैं उन्हें समुच्चयबोधक कहा जाता है। हिंदी व्याकरण में जहाँ पर “तब, और, वरना, किन्तु, परन्तु, इसीलिए, बल्कि, ताकि, क्योंकि, या, अथवा, एवं, तथा, अन्यथा” आदि शब्द जुड़ते हैं वहाँ पर समुच्चयबोधक होता है।

विस्मयादि बोधक – हिंदी व्याकरण

जिन हिन्दी वाक्यों में आश्चर्य, हर्ष, शोक, घृणा आदि के भाव व्यक्त होँ, उन्हें विस्मय बोधक वाक्य कहते है। हिंदी व्याकरण में इन वाक्यों में सामान्यतः विस्मयादिबोधक चिह्न (!) का उपयोग किया जाता है।

संबंधबोधक – हिन्दी व्याकरण

जो शब्द संंज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य के अन्य शब्दों के साथ बताते हैं हिंदी व्याकरण (Hindi Grammar) में उन्हें संबंधबोधक कहते हैं। या जो अविकारी शब्द संज्ञा, सर्वनाम के बाद आकर वाक्य के दूसरे शब्द के साथ सम्बन्ध बताए उसे हिंदी व्याकरण में संबंधबोधक कहते हैं।

निपात (अवधारक) हिंदी व्याकरण

किसी भी बात पर अतिरिक्त भार देने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है हिंदी व्याकरण में उसे निपात (अवधारक) कहते है। जैसे :- भी , तो , तक , केवल , ही , मात्र आदि. तुम्हें आज रात रुकना ही पड़ेगा। तुमने तो हद कर दी।

वचन – हिंदी व्याकरण

भाषाविज्ञान में वचन (Number) एक संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया आदि की व्याकरण सम्बन्धी श्रेणी है जो इनकी संख्या की सूचना देती है (एक, दो, अनेक आदि)। अधिकांश भाषाओं में दो वचन ही होते हैं- एकवचन तथा बहुवचन , किन्तु संस्कृत तथा कुछ और भाषाओं में द्विवचन भी होता है। हिंदी व्याकरण में भी दो वचन होते हैं।

लिंग – हिन्दी व्याकरण

लिंग संस्कृत का शब्द होता है जिसका अर्थ होता है निशान। जिस संज्ञा शब्द से व्यक्ति की जाति का पता चलता है उसे लिंग कहते हैं। इससे यह पता चलता है की वह पुरुष जाति का है या स्त्री जाति का है। हिंदी व्याकरण में दो लिंग होते हैं (पुल्लिंग तथा स्त्रीलिंग) जबकि संस्कृत में तीन लिंग होते हैं- पुल्लिंग, स्त्रीलिंग तथा नपुंसक लिंग।

कारक – हिन्दी व्याकरण

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उसके सम्बन्ध का बोध होता है, उसे कारक कहते हैं। हिंदी व्याकरण (Hindi Grammar) में आठ कारक होते हैं- कर्ता, कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध, अधिकरण और सम्बोधन। हिंदी व्याकरण में विभक्ति या परसर्ग-जिन प्रत्ययों से कारकों की स्थितियों का बोध होता है, उन्हें विभक्ति या परसर्ग कहते हैं।

पुरुष – हिंदी व्याकरण

वे व्यक्ति जो संवाद के समय भागीदार होते हैं, उन्हें पुरुष कहा जाता है। जैसे: मेरा नाम सचिन है। इस वाक्य में वक्ता (सचिन) अपने बारे में बता रहा है। वह इस संवाद में भागीदार है एवं श्रोता भी।

उपसर्ग – हिन्दी व्याकरण

संस्कृत एवं संस्कृत से उत्पन्न भाषाओं में उस अव्यय या शब्द को उपसर्ग (prefix) कहते हैं जो कुछ शब्दों के आरंभ में लगकर उनके अर्थों का विस्तार करता अथवा उनमें कोई विशेषता उत्पन्न करता है। उपसर्ग = उपसृज् (त्याग) + घञ्। हिंदी व्याकरण में जैसे – अ, अनु, अप, वि, आदि उपसर्ग है।

प्रत्यय – हिन्दी व्याकरण

शब्दों के साथ, पर बाद में चलनेवाला या लगनेवाला शब्दांश। अत:, जो शब्दांश के अंत में जोड़े जाते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं। जैसे-‘ बड़ा’ शब्द में ‘आई’ प्रत्यय जोड़ कर ‘बड़ाई’ शब्द बनता है। अर्थात हिंदी व्याकरण में प्रत्यय वे शब्द होते हैं जो किसी शब्द के अंत में जुडते हैं।

अव्यय – हिंदी व्याकरण

किसी भी भाषा के वे शब्द अव्यय (Indeclinable या inflexible) कहलाते हैं जिनके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक, काल इत्यादि के कारण कोई विकार उत्पत्र नहीं होता। हिंदी व्याकरण में ऐसे शब्द हर स्थिति में अपने मूलरूप में बने रहते है। चूँकि अव्यय का रूपान्तर नहीं होता, इसलिए ऐसे शब्द अविकारी होते हैं। हिंदी व्याकरण में अव्यय का शाब्दिक अर्थ है- ‘जो व्यय न हो।’

संधि – हिन्दी व्याकरण

संधि (सम् + धि) शब्द का अर्थ है ‘मेल’। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है। जैसे – सम् + तोष = संतोष ; देव + इंद्र = देवेंद्र ; भानु + उदय = भानूदय।हिंदी व्याकरण में अर्थात हमारी हिंदी भाषा में संधि के द्वारा पुरे शब्दों को लिखने की परम्परा नहीं है।

छन्द – हिन्दी व्याकरण

छंद शब्द ‘चद्’ धातु से बना है जिसका अर्थ है ‘आह्लादित करना’, ‘खुश करना’। यह आह्लाद वर्ण या मात्रा की नियमित संख्या के विन्यास से उत्पन्न होता है। इस प्रकार हिंदी व्याकरण में छंद की परिभाषा होगी ‘वर्णों या मात्राओं के नियमित संख्या के विन्यास से यदि आह्लाद पैदा हो, तो उसे छंद कहते हैं’।

समास – हिन्दी व्याकरण

समास का तात्पर्य है ‘संक्षिप्तीकरण’। इसका शाब्दिक अर्थ होता है छोटा रूप। जब दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर जो नया और छोटा शब्द बनता है उस शब्द को हिंदी व्याकरण में समास कहते हैं। जैसे -‘रसोई के लिए घर’ इसे हम ‘रसोईघर’ भी कह सकते हैं।

अलंकार – हिन्दी व्याकरण

काव्य में भाषा को शब्दार्थ से सुसज्जित तथा सुन्दर बनाने वाले चमत्कारपूर्ण मनोरंजन ढंग को अलंकार कहते हैं। हिंदी व्याकरण में अलंकार का शाब्दिक अर्थ है, ‘आभूषण’। जिस प्रकार सुवर्ण आदि के आभूषणों से शरीर की शोभा बढ़ती है उसी प्रकार काव्य अलंकारों से काव्य की।

रस – हिन्दी व्याकरण

रस का शाब्दिक अर्थ है ‘आनन्द’। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे हिंदी व्याकरण में ‘रस’ कहा जाता है। हिंदी व्याकरण में रस को काव्य की आत्मा माना जाता है। प्राचीन भारतीय वर्ष में रस का बहुत महत्वपूर्ण स्थान था। हिंदी व्याकरण में रस -संचार के बिना कोई भी प्रयोग सफल नहीं किया जा सकता था।

विलोम शब्द – हिंदी व्याकरण

विलोम का अर्थ होता है उल्टा। जब किसी शब्द का उल्टा या विपरीत अर्थ दिया जाता है उस शब्द को हिंदी व्याकरण में विलोम शब्द कहते हैं अथार्त एक – दूसरे के विपरीत या उल्टा अर्थ देने वाले शब्दों को विलोम शब्द कहते हैं। हिंदी व्याकरण में इसे विपरीतार्थक शब्द भी कहते हैं।

तत्सम-तद्भव – हिन्दी व्याकरण

आधुनिक भारतीय भाषाओं में प्रयुक्त ऐसे शब्द जिनको संस्कृत से बिना कोई रूप बदले ले लिया गया है। हिन्दी, बांग्ला, कोंकणी, मराठी, गुजराती, पंजाबी, तेलुगू कन्नड, मलयालम, सिंहल आदि में बहुत से शब्द संस्कृत से सीधे ले लिए गये हैं क्योंकि इनमें से कई भाषाएँ संस्कृत से जन्मी हैं। हिंदी व्याकरण में तत्सम तथा तद्भव शब्दों का वहुत महत्व है।

पर्यायवाची शब्द – हिंदी व्याकरण

जिन शब्दों के अर्थ में समानता होती है, उन्हें समानार्थक या पर्यायवाची शब्द कहते है या किसी शब्द-विशेष के लिए प्रयुक्त समानार्थक शब्दों को पर्यायवाची शब्द कहते हैं। हिंदी व्याकरण में यद्यपि पर्यायवाची शब्दों के अर्थ में समानता होती है, लेकिन प्रत्येक शब्द की अपनी विशेषता होती है और भाव में एक-दूसरे से किंचित भिन्न होते हैं।

अनेक शब्दों के लिए एक शब्द हिंदी व्याकरण

हिंदी शब्दों में अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग कर सकते हैं। हिंदी व्याकरण में अथार्त हिंदी भाषा में कई शब्दों की जगह पर एक शब्द बोलकर भाषा को प्रभावशाली बनाया जा सकता है। हिंदी व्याकरण में अनेक शब्दों में एक शब्द का प्रयोग करने से वाक्य के भाव का पता लगाया जा सकता है।

एकार्थक शब्द हिंदी व्याकरण

हिन्दी व्याकरण में जिनका अर्थ देखने और सुनने मेँ एक–सा लगता है, परन्तु वे समानार्थी नहीँ होते हैँ। ध्यान से देखने पर पता चलता है कि उनमेँ कुछ अन्तर भी है।

अनेकार्थक शब्द हिंदी व्याकरण

‘अनेकार्थक’ शब्द का अभिप्राय है, किसी शब्द के एक से अधिक अर्थ होना। हिन्दी व्याकरण में बहुत से शब्द ऐसे हैँ, जिनके एक से अधिक अर्थ होते हैँ। ऐसे शब्दोँ का अर्थ भिन्न–भिन्न प्रयोग के आधार पर या प्रसंगानुसार ही स्पष्ट होता है।

युग्म-शब्द (Combination words), Shabd Yugm हिंदी व्याकरण

वे शब्द जो उच्चारण की दृष्टि से असमान होते हुए भी समान होने का भ्रम पैदा करते हैं, युग्म शब्द अथवा ‘श्रुतिसमभिन्नार्थक’ या ‘युग्म-शब्द’ या ‘समोच्चरित भिन्नार्थक शब्द’ कहलाते हैं। श्रुतिसमभिन्नार्थक का अर्थ ही है- सुनने में समान; परन्तु भिन्न अर्थवाले। जैसे – अंस-अंश, यहाँ पहले वाले का अर्थ है कंधा, और दूसरे वाले का अर्थ है हिस्सा।

वर्तनी – शब्द एवं वाक्य शुद्धीकरण हिंदी व्याकरण

वर्तनी: किसी शब्द को लिखने मेँ प्रयुक्त वर्णोँ के क्रम को वर्तनी या अक्षरी कहते हैँ। अँग्रेजी मेँ वर्तनी को ‘Spelling’ तथा उर्दू मेँ हिज्जे कहते हैँ। हिन्दी व्याकरण में वर्तनी कहते हैं।

हिंदी में मुहावरे और लोकोक्तियाँ

जिस सुगठित शब्द-समूह से लक्षणाजन्य और कभी-कभी व्यंजनाजन्य कुछ विशिष्ट अर्थ निकलता है हिन्दी व्याकरण में उसे मुहावरा कहते हैं। कई बार यह व्यंग्यात्मक भी होते हैं। मुहावरे भाषा को सुदृढ़, गतिशील और रुचिकर बनाते हैं। मुहावरों के प्रयोग से भाषा में अद्भुत चित्रमयता आती है। हिन्दी व्याकरण मुहावरों के बिना भाषा निस्तेज, नीरस और निष्प्राण हो जाती है। देखे – मुहावरे.

हिन्दी भाषा में बहुत अधिक प्रचलित और लोगों के मुँहचढ़े वाक्य लोकोक्ति के तौर पर जाने जाते हैं। इन वाक्यों में जनता के अनुभव का निचोड़ या सार होता है। देखे –लोकोक्तियाँ.

हिंदी की प्रमुख पद्य रचनाये : हिंदी व्याकरण

हिंदी का आरंभिक साहित्य अपभ्रंश में मिलता है। हिंदी में तीन प्रकार का साहित्य मिलता है। गद्य पद्य और चम्पू। हिंदी की पहली रचना कौन सी है इस विषय में विवाद है लेकिन ज़्यादातर साहित्यकार देवकीनन्दन खत्री द्वारा लिखे गये उपन्यास ‘चंद्रकांता को हिन्दी की पहली प्रामाणिक गद्य रचना मानते हैं।

हिन्दी की प्रमुख गद्य रचनाएँ एवं रचयिता: हिंदी व्याकरण

किसी भाषा के वाचिक और लिखित (शास्त्रसमूह) को साहित्य कह सकते हैं। दुनिया में सबसे पुराना वाचिक साहित्य हमें आदिवासी भाषाओं में मिलता है। इस दृष्टि से आदिवासी साहित्य सभी साहित्य का मूल स्रोत है।

जीवन परिचय: प्रमुख साहित्यकार

इस में किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति के जीवन के अन्तर्वाह्य स्वरूप का घटनाओं के आधार पर कलात्मक चित्रण रहता है। इससे उसके गुण दोषमय व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति होती है। सामान्यतः जीवनी में सारे जीवन में किए हुए कार्यों का वर्णन होता है पर इस नियम का पालन आवश्यक नहीं है।

पत्र लेखन

पत्र-लेखन आधुनिक युग की अपरिहार्य आवश्यकता है। पत्र एक ओर सामाजिक व्यवहार के अपरिहार्य अंग हैं तो दूसरी ओर उनकी व्यापारिक आवश्यकता भी रहती है। पत्र लेखन एक कला है जो लेखक के अपने व्यक्तित्व, दृष्टिकोण एवं मानसिकता से परिचालित होती है।

निबंध लेखन

निबंध उस गद्य रचना को कहते हैं जिसमें एक सीमित आकार के भीतर किसी एक विषय का वर्णन या प्रतिपादन एक विशेष निजीपन, स्वच्छन्दता, सजीवता, संगति एवं सुसम्बद्धता के साथ किया जाता है। निबंध में लेखक का अपना व्यक्तित्व साफ झलकता है।

See Also: Sanskrit Vyakaran, Hindi Sahitya

FAQs on Hindi Grammar

व्याकरण किसे कहते हैं?

किसी भी भाषा को सही तरीके से और शुद्ध रूप से बोलने के लिए, लिखने के लिए और समझने के लिए कुछ नियम होते हैं और उन्हीं नियमों को हम व्याकरण (Grammar) कहते हैं।

व्याकरण का महत्व क्या है?

प्रभावी संचार के लिए व्याकरण का ज्ञान होना आवश्यक है। व्याकरण का ज्ञान साक्षरता का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो शिक्षा और जीवन के कई क्षेत्रों में सफलता के लिए आवश्यक है। इसका ज्ञान हमें भाषा को अधिक प्रवाह और स्पष्ट पढ़ने और लिखने में मदद करता है, जिससे आप अपने जीवन में सफल हो सकते हैं।

व्याकरण का जन्म कब हुआ?

व्याकरण का जन्म वैदिक काल माना जाता है। सर्वप्रथम संस्कृत व्याकरण का विकास हुआ, जो लिखित रूप में उपलब्ध है। वेदों में संस्कृत भाषा का वर्णन किया गया है जो संस्कृत व्याकरण के उदाहरण है। महर्षि पाणिनि को संस्कृत व्याकरण का पिता माना जाता है, जिन्होंने अपने महेश्वर सूत्रों में संस्कृत भाषा के वर्ण, धातु, प्रत्यय और समास आदि के नियमों को समेटा था।

कौन सी भाषा हिंदी भाषा की जनक और अग्रदूत कही जाती है?

हिंदी भाषा की जनक और अग्रदूत तीन भाषाओं को माना जाता है- संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश भाषा। इन भाषाओं का हिन्दी और हिन्दी व्याकरण (Hindi Grammar) के विकास में सर्वाधिक योगदान है।

हिंदी व्याकरण के जनक कौन है?

हिन्दी व्याकरण (Hindi Grammar) के जनक ‘दामोदर पंडित’ को कहा जाता है। इन्होंने 12 वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में एक ग्रंथ की रचना की थी जिसे “उक्ति व्यक्ति प्रकरण” के नाम से जाना जाता है ।

हिंदी का प्रथम व्याकरण कौन सा है?

हिन्दी का प्रथम व्याकरण दामोदर शर्मा द्वारा लिखा गया “उक्ति व्यक्ति प्रकरण” है।

हिंदी व्याकरण के लेखक कौन है?

कामता प्रसाद गुरु (1875 -1947 ई.) ने ‘हिंदी व्याकरण’ जैसी महत्वपूर्ण पुस्तक की रचना की थी, जिसे नागरी प्रचारिणी सभा, काशी के द्वारा, पुस्तक के रूप में 1920 ई. में प्रकाशित किया गया था। इसका कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।

हिंदी व्याकरण के कितने भेद होते हैं?

हिंदी व्याकरण के खंड या भेद (Parts of Hindi Grammar): (1) वर्ण विचार – इसके अंतर्गत ध्वनि और वर्ण, (2) शब्द विचार – इसके अंतर्गत शब्द के विविध पक्षों संबंधी नियमों, (3) वाक्य विचार – इसके अंतर्गत वाक्य संबंधी विभिन्न स्थितियों और (4) छंद विचार – इसमें साहित्यिक रचनाओं के शिल्पगत पक्षों पर विचार किया गया है।

हिंदी व्याकरण में क्या-क्या आएगा?

हिंदी व्याकरण (Hindi Grammar) में “भाषा, हिन्दी भाषा, वर्ण, शब्द, पद, काल, वाक्य, विराम चिन्ह, संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, क्रिया विशेषण, समुच्चय बोधक, विस्मयादि बोधक, वचन, लिंग, कारक, पुरुष, उपसर्ग, प्रत्यय, अव्यय, संधि, रस, छन्द, अलंकार, समासविलोम शब्द, तत्सम-तद्भव शब्द, पर्यायवाची शब्द, अनेक शब्दों के लिए एक शब्द, एकार्थक शब्द, अनेकार्थक शब्द, युग्म शब्द, शुद्ध अशुद्ध वाक्य और शब्द, मुहावरे और लोकोक्तियाँ, पत्र लेखन, निबंध लेखन” आदि प्रमुख अध्याय आते हैं।

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