"स्वरादि निपातमव्यम्" (स्वर आदि शब्द तथा निपात शब्द 'अव्यय' कहलाते हैं।) अर्थात जो शब्द तीनों लिंगों, सभी विभक्तियों और तीनों वचनों में समान रहते हैं, 'अव्यय' कहलाते हैं।
परिभाषा:
किसी भी भाषा के वे शब्द अव्यय कहलाते हैं जिनके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक, काल इत्यादि के कारण कोई विकार उत्पत्र नहीं होता। ऐसे शब्द हर स्थिति में अपने मूलरूप में बने रहते है। चूँकि अव्यय का रूपान्तर नहीं होता, इसलिए ऐसे शब्द अविकारी होते हैं। अव्यय का शाब्दिक अर्थ है- 'जो व्यय न हो।'
अव्यय के भेद
जैसा की आप जान चुके हैं की अविकारी शब्दों को ही अव्यय कहते है इसलिए
संस्कृत भाषा में अव्यय मुख्य रूप से चार प्रकार के होते है। जो इस प्रकार हैं -
- क्रियाविशेषण (Adverb)
- समुच्चयबोधक अव्यय (Conjunction)
- सम्बन्धबोधक अव्यय (Preposition)
- विस्मयादिबोधक अव्यय (Interjection)
1. क्रियाविशेषण (Adverb)
जो शब्द क्रिया के काल (Tense), स्थान (Place), रीति (Way to work), परिमाण (Quantity), बताये और जिनके योग से प्रश्न किये जाये क्रिया विशेषण कहलाते है।
क्रियाविशेषण अव्यय के प्रकार या भेद
1. कालवाचक अव्यय एवं उनके उदाहरण भेद एवं अर्थ
# |
अव्यय |
अर्थ |
1. |
यदा |
जब |
2. |
तदा |
तब |
3. |
कदा |
कब |
4. |
सदा / सर्वदा |
हमेशा |
5. |
अधुना |
अब / आजकल |
6. |
इदानीम |
इस समय |
7. |
सम्प्रति |
अब |
8. |
साम्प्रतम् |
इन दिनों |
9. |
अद्य |
आज |
10. |
ह्य: |
बीता कल |
11. |
स्व: |
आनेवाला कल |
12. |
ऐसम् |
इस साल |
13. |
परुत् |
परसाल(Last Year) |
14. |
सायम् |
संध्या के समय / शाम को / शाम में |
15. |
प्रात: |
सुबह |
16. |
शीघ्रम् |
जल्द ही |
17. |
दिवा |
दिन में |
18. |
नक्तम् |
रात में |
19. |
परश्व: |
परसों |
20. |
बहुधा |
अक्सर |
21. |
संभवत: |
शायद |
22. |
चिरम् / चिरात् / चिरेण / चिराय / चिरस्य |
देर से |
23. |
एकदा |
एक बार / एक दिन |
24. |
कदाचित् |
कभी |
2. स्थान वाचक अव्यय एवं उनके उदाहरण भेद एवं अर्थ
# |
अव्यय |
अर्थ |
1. |
यत्र |
यहां |
2. |
तत्र |
वहाँ (there) |
3. |
कुत्र / क्व |
कहाँ |
4. |
अत्र |
यहाँ |
5. |
सर्वत्र |
सब जगह |
6. |
अन्त: |
भीतर |
7. |
बहि: |
बाहर |
8. |
अंतरा |
मध्य |
9. |
उच्चै |
जोर से |
10. |
नीचै: / अध: |
नीचे |
11. |
समया / निकषा / पार्श्वे |
नजदीक |
12. |
अन्यत्र |
दूसरी जगह |
13. |
आरात् |
पास या दूर (near or far) |
14. |
तत: |
वहाँ से |
15. |
इतस्तत: |
इधर - उधर |
16. |
अभित: |
सामने |
17. |
अग्रे / पुरत: |
आगे (In Front Of) |
18. |
परित: |
चारो ओर |
3. रीति वाचक अव्यय एवं उनके उदाहरण भेद एवं अर्थ
# |
अव्यय |
अर्थ |
1. |
शनै: |
धीरे |
2. |
पुन:/ भूय:/ मुहु: |
फ़िर |
3. |
यथा |
जैसे |
4. |
तथा |
वैसे |
5. |
सहसा / अकस्मात् |
अचानक |
6. |
सम्यक् |
ठीक से |
7. |
असक्रत |
बार-बार |
8. |
कथञ्चित् / कथञ्चन |
किसी प्रकार |
9. |
अजस्रम् |
लगातार |
10. |
इत्यम् |
इस प्रकार |
11. |
एवम् |
इस प्रकार |
4. परिमाण वाचक अव्यय एवं उनके उदाहरण भेद एवं अर्थ
# |
अव्यय |
अर्थ |
1. |
किञ्चित् |
थोडा |
2. |
यावत् |
जितना |
3. |
तावत् |
उतना |
4. |
न्यूनतम् |
थोडा |
5. |
प्रकामम् |
अधिक |
6. |
सामि |
आधा-आधी |
7. |
नाना |
अनेक |
8. |
ईषत् |
थोडा / कुछ |
9. |
अलम् |
पर्याप्त / बेकार |
10. |
केवलम् |
केवल |
11. |
क्रतम् |
वस / काफी |
12. |
भ्रशम् |
अधिकाधिक |
5. प्रश्न वाचक अव्यय एवं उनके उदाहरण भेद एवं अर्थ
# |
अव्यय |
अर्थ |
1. |
कदा |
कब |
2. |
अथ् किम् |
हाँ तो क्या |
3. |
किमर्थम् |
किसलिये |
4. |
क्व / कुत्र |
कहाँ |
5. |
कुत: |
कहाँ से |
6. |
कथम् |
क्यों |
7. |
किम् |
क्या |
2. समुच्चयबोधक अव्यय (Conjunction)
समुच्चयवोधक अव्यय वे शब्द होते हैं जो अव्यय शब्द, पदों या वाक्यों को जोड़ने का काम करते हैं।
कुछ समुच्चयबोधक अव्यय एवं उनके अर्थ
# |
अव्यय |
अर्थ |
1. |
च / तथा |
और |
2. |
हि /यत: |
क्योंकि |
3. |
वा / अथवा |
या (or) |
4. |
यत् |
कि |
5. |
अपि |
भी |
6. |
अत: |
इसलिए |
7. |
तु |
तो |
8. |
यदि / चेत् |
अगर (if) |
9. |
तदा |
तो |
10. |
परम् / परन्तु / किन्तु |
लेकिन (but) |
11. |
यद्यपि |
हालाँकि |
12. |
तथापि |
फिर भी |
13. |
अपितु |
बल्कि |
14. |
अन्यथा |
नहीं तो |
15. |
किंवा |
अथवा (or) |
16. |
अपरञ्च |
और भी |
17. |
तर्हि |
तो |
3. संबन्धबोधक अव्यय (Preposition)
संबन्धबोधक अव्यय वे शब्द होते हैं जो वाक्य के अन्तर्गत संबन्ध भाव को दर्शाते हैं।
कुछ संबन्धबोधक अव्यय एवं उनके अर्थ
# |
अव्यय |
अर्थ |
1. |
यावत् |
जतक |
2. |
तावत् |
तबतक |
3. |
पर्यन्तम् |
पर्याप्त तक |
4. |
अन्तरा / बिना |
बिना (without) |
5. |
यथा-यथा |
जैसे-जैसे |
6. |
तथा-तथा |
वैसे-वैसे |
7. |
प्रत्युत् |
उल्टे |
8. |
युगपत् |
एक साथ |
9. |
समन्तात् |
चारो ओर से |
4. विस्मयाधिबोधक अव्यय (Interjection)
विस्मयाधिबोधक अव्यय वे शब्द होते हैं जो वाक्य में विस्मय, निराशा, घ्रणा, आदर, सुख-दुख, हर्ष-विषाद आदि भावो को दर्शाते हैं।
कुछ विस्मयाधिबोधक अव्यय एवं उनके अर्थ
# |
अव्यय |
अर्थ |
1. |
हा, हा-हा, अहह |
अवसादसूचक |
2. |
अहो, बत् |
निराशा और आश्चर्यसूचक |
3. |
अरे, रे, रे-रे |
अनादर या सामान्य सूचक संबोधन |
4. |
हा, हन्त, धिक् |
घ्रणाबोधक |
5. |
साधु, अतीव शोभनम् |
वाह / बहुत अच्छा |
5. उपसर्ग अव्यय
उपसर्ग भी अव्यय के अंतर्गत आते हैं जिनके बारे में हम पहले ही बता चुके हैं। उपसर्ग का अध्याय देखने के लिए यहाँ क्लिक करें -
उपसर्ग
प्रमुख अव्यय पद एवं उनके वाक्य प्रयोग
लगभग सभी बोर्ड परीक्षाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं में अव्ययों के वाक्य प्रयोग पूछे जाते हैं
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