Shabd Roop - शब्द रूप - सुबंत प्रकरण - संस्कृत व्याकरण
संस्कृत में सबसे बड़ी परेशानी शब्द रूपों को लेकर होती है। संस्कृत में करीब 2400 शब्द हैं जिनके रूप हमें याद करने होते हैं। अब जाहिर सी बात है कि इतने सारे शब्द रूप याद हो जाएं यह संभव नहीं है। या फिर वे विरले ही लोग हैं जिन्हें इतने शब्द रूप याद हो सकें।महत्वपूर्ण शब्द रूप, याद करने की ट्रिक Trick
शब्द रूप में हम एक बात देखते हैं कि प्रथम और द्वितीय में तीनों वचनों में रूप कुछ कुछ अलग और कुछ कुछ समान होते हैं। लेकिन यहां हम इनकी बात बाद में करेंगे। पहले बात करेंगे तृतीय विभक्ति से लेकर सप्तमी विभक्ति तक। क्योंकि मैं जो यहां ट्रिक बताने जा रहा हूं उसमें इस टेबल का बड़ा योगदान है। आप इस टेबल को अगर एक बार ध्यान पूर्व पढऩे के बाद सीख गए तो आपको शब्द रूप बनाने में कभी कोई परेशानी नहीं होगी। क्योंकि यही टेबल मेरी सारी मेहनत का सार है।Most Important Shabd Roop
यहाँ पर आपको अति महत्वपूर्ण शब्द रूप देखने को मिलेगें, जो अक्सर परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। और अधिक शब्द रूप देखने के लिए website के search box का प्रयोग कर सकते हैं। my cocahing पर आपको लगभग सभी शब्द रूप मिल जाएंगे। धातु रूप देखने के लिए - Dhatu Roop in sanskrit पर जाएँ।Shabd Roop List in Sanskrit, संस्कृत शब्द रूप लिस्ट
- देव (देवता),
- बालक ,
- विश्वपा (विश्व के रक्षक),
- पति (स्वामी),
- सखि (सखा/मित्र),
- सुधी (पंडित),
- साधु,
- स्वयम्भू (ब्रह्म),
- दातृ (दाता /दानी),
- पितृ (पिता),
- रै (धन /सोना),
- गो (गौ / बैल / इन्द्रियाँ / किरण / सूर्य),
- ग्लौ (चन्द्रमा/कपूर),
- लता ,
- ज़रा (बुढ़ापा),
- मति (बुध्दि),
- नदी
- श्री (लक्ष्मी, शोभा)
- स्त्री (woman)
- धेनु (गाय)
- वधू (स्त्री ,पतोहू ,wife )
- भू (पृथ्वी)
- मातृ (माता, mother )
- स्वसृ (sister )
- फल (fruit )
- वारि (जल, water)
- दधि (दही , curd )
- मधु (शहद, honey )
- अनादि (जिसकी आदि ना हो, without beginning )
- स्वादु (स्वादिष्ट , tasteful )
- धातृ ( धाता , creator )
हलंत / व्यंजनांत पुल्लिंग एवं स्त्रीलिंग शब्द रूप
हलंत(व्यंजन अंत वाले शब्द - व्यंजनांत): इन शब्द रूपों में ज्यादा अंतर नहीं होता है। ये शब्द रूप इस प्रकार हैं-- चकारांत - जलमुच् (मेघ , cloud)
- प्राच् (पूर्व दिशा)
- प्रत्यच् (पश्चिम दिशा)
- जकारान्त शब्द - बणिज् (व्यापारी, tradesman)
- सम्राज् (सम्राट, Emperor)
- तकरान्त् - भूमृत् (पहाड / राजा, mountain or king)
- 'अत् (शतृ )' प्रत्यांत शब्द धावत् (दौडता हुआ, running)
- 'मत्' प्रत्यायान्त शब्द - श्रीमत् (धनवान्, wealthy)
- महत् (बडा, महान्, great)
- दकारान्त शब्द - सुह्रद् (दोस्त, friend)
- धकारान्त शब्द - वीरूध् (लता, creeper)
- 'अन्' भागान्त - लघिमन् (छोटापन, lowliness or lightness)
- आत्मन् (आत्मा, soul)
- स्वन् (कुत्ता, dog)
- युवन् (जवान, young)
- मघवन् (इन्द्र)
- इन् भागान्त् - गुणिन् (गुणी , meritorious)
- पथिन् (रास्ता , passage)
- हन् भागान्त पुल्लिङ्ग् - वृत्रहन् (Indra)
- पकारान्त 'अप्' शब्द (जल)
- भकारान्त शब्द - ककुभ् (दिशा / अर्जुन वृक्ष)
- शकारांत शब्द - विश् (वैश्य, vasishya)
- स्त्रीलिङ्ग शब्द - दिश् (दिशा , direction)
- षकारान्त शब्द - रत्नमुष् (पुल्लिङ्ग्), द्विष् (शत्रु, पुल्लिङ्ग्), आशिष् (स्त्रीलिङ्ग)
- सकारान्त - वेधस् (ब्रह्मा)
- उशनस् (शुक्राचार्य , Shukra)
- दोस् (हाथ, Hand)
- विद्वस् (विद्वान, A Learned man)
- जग्मिवस् (चला गया / बीत गया , Gone or Past )
- इयस् भागान्त - लघीयस् (हल्का / छोटा , light or small )
- पुमस् (आदमी, Man)
- रकारान्त शब्द - गिर् (वाणी, words)
- वकारान्त शब्द - दिव् (आकाश, स्वर्ग, sky, heavan)
- सकारान्त शब्द - आशिस् (आशीर्वाद, blessing)
- हकारान्त शब्द - मधुलिह् (मधुमक्खी),
- उपानह् (जूता, shoes)
हलंत / व्यंजनांत नपुन्सकलिङ्ग्
नपुंसकलिंग शब्द रूप पुल्लिंग शब्द रूपों की तरह ही होते हैं। सिर्फ प्रथमा और द्वितीया विभक्ति के शब्द रूपों में अंतर होता है। ये शब्द रूप इस प्रकार हैं-- चकारान्त शब्द - प्राच् - नपुंसकलिंग (पूर्व, east)
- उदच् (उत्तर, north)
- तिर्य्यच् (पक्षी, bird)
- प्रत्यच् (पश्चिम, west)
- तकारान्त शब्द - भविष्यत् (future)
- अत् प्रत्यान्त् शब्द - गच्छत् (जाता हुआ , going)
- इच्छत् (चाहता हुआ, wishing)
- ददत् (देता हुआ, giving)
- महत् (बड़ा , great)
- दकारांत शब्द - ह्रद् (ह्रदय, heart)
- अन् भागान्त शब्द - धामन् (घर, house)
- कर्म्मन् (काम , work)
- अहन् (दिन, day)
- इन् भागान्त शब्द - स्थायिन् (टिकाऊ /स्थायी , permanent / durable)
- अस् भागान्त शब्द - पयस् (पानी/दूध , water /milk)
- उस् भागान्त शब्द - धनुस् (धनुष , bow)
सर्वनाम शब्द रूप - Pronoun's Shabd Roop
सर्वनाम शब्द रूप के अनुसार पांच विभागों में विभक्त है। - १-सर्व्वादि , २- अन्यादि , ३- पूर्वादि , ४- इदमादि और ५- यदादि। सर्वनाम का सम्बोधन नहीं होता है।
नोट :- सर्व, विश्व, उभय, एक, और एकतर इन शब्दों रूप एकसमान ही होते है। - सर्व्वादि - सर्व - पुल्लिंग ( सभी , all ) --
- सर्व - क्लीवलिंग, नपुंसकलिंग
- सर्व - स्त्रीलिंग
- अन्यादि - अन्य, अन्यतर, इतर, क़तर, कतम, और एकतम आदि शब्दों के रूप सर्व्वादि के तुल्य हैं। केवल नपुंसकलिंग के प्रथमा तथा द्वतीया विभक्ति के एकवचन में - अन्यत् , अन्यतरत् , इतरत् , कतमत् और एकतमत् ऐसा रूप होता है।
- पूर्व्वादि - पूर्व, पर, अपर, अवर, अघर, दक्षिण, उत्तर, स्व इनके रूप एकसमान होते हैं।
- पूर्व्व - पुल्लिंग
- पूर्व्व - क्लीवलिंग (नपुंसकलिंग)
- इदमादि - इदम् , अस्मद् , युष्मद् , अदस् , शब्दो के रूप मे भेद होने के कारण अलग अलग लिखे जाते है।
- इदम् - पुल्लिङ्ग् ( यह , this)
- इदम् - क्लीवलिंग (नपुंसकलिंग)
- इदम् - स्त्रीलिङ्ग
- अस्मद् - सभी लिङ्गो में ( मै / हम लोग , I / We)
- युष्मद् - सभी लिङ्गो में ( तू / तुम , You)
- अदस् - पुल्लिङ्ग् (वह , That)
- अदस् - क्लीवलिंग (वह , That)
- अदस् - स्त्रीलिङ्ग (वह , That)
- यदादि - यद् , तद् , एतद् , त्यद् , किम् - इन शब्दों का क्रमशः य: , स: , एष: , स्य: , क: होता है। और सर्व्वादि के तुल्य रूप होते हैं। नपुंसकलिंग में प्रथमा और द्वतीया के एकवचन में यत् , तत् , एतत् , त्यत् , किम् होता है। स्त्रीलिंग में इन शब्दों का रूप या , सा , एषा , स्या, का, होता है।
- यद् - पुल्लिंग (जो, Who)
- यद् - स्त्रीलिङ्ग (जो, Who)
- यद् - क्लीवलिंग (नपुंसकलिंग ) (जो, Who)
- तद् - पुल्लिङ्ग् (वह , That)
- तद् - स्त्रीलिङ्ग (वह , That)
- तद् - क्लीवलिंग (नपुंसकलिंग ) (वह , That)
- एतद् - पुल्लिङ्ग् (यह , This)
- एतद् - स्त्रीलिङ्ग (यह , This)
- एतद् - क्लीवलिंग (नपुंसकलिंग ) (यह , This)
- किम् - पुल्लिङ्ग् (क्या , कौन , What , Who)
- किम् - स्त्रीलिङ्ग (क्या , कौन , What , Who)
- किम् - क्लीवलिंग (नपुंसकलिंग ) (क्या , कौन , What , Who)
- भवत् - पुल्लिङ्ग् (आप, Your)
- भवत् - स्त्रीलिङ्ग (आप, Your)
संख्यावाची शब्द (Numerals)
एक शब्द एक वचनान्त है, पर कुछ के अर्थ में वह कभी कभी बहुवचन भी होता है। एक शब्द का रूप सर्व के समान होता है।- एक (One) - एकवचनान्त एक
- द्वि (Two) - नित्य द्विवचनान्त
- त्रि (Three) - नित्य वहुवचनान्त शब्द
- चतुर (Four) - नित्य वहुवचनान्त शब्द
- पञ्चन् (Five) , षष् (Six) , अष्टन् (Eight)
ध्यान रखें:-
- सात(7) और नौ(9) से अठारह(18) तक के सभी शब्दों के रूप वहुवचन और तीनों लिंगो में सामान होते हैं। इनके शब्द रूप पांच(5) की तरह ही होते हैं।
- उन्नीस(19) से निन्यानवे(99) तक के सभी शब्द रूप एकवचन और स्त्रीलिंग होते हैं।
- इक्कीश(21) से अठ्ठाइस(28) तक के सभी शब्द रूप मति के समान होते हैं।
- उन्तीस(29) से अठ्ठावन(58) तक के शब्द रूप भूभृत् के समान होते हैं।
- उनसठ(59) से निन्यानवे(99) तक के शब्दों के शब्द रूप मति के समान होते हैं।
- सौ(100), हजार(1000), लाख(100000), आदि प्राय: एकवचन नपुंसकलिंग होते हैं। इनके शब्द रूप फल के समान होते हैं।