संस्कृत साहित्य – काव्य, रचनाएं, कवि, रचनाकार, इतिहास

Sanskrit Sahitya

संस्कृत के प्रमुख साहित्य एवं साहित्यकार

संस्कृत भाषा का साहित्य अनेक अमूल्य ग्रंथरत्नों का सागर है, इतना समृद्ध साहित्य किसी भी दूसरी प्राचीन भाषा का नहीं है और न ही किसी अन्य भाषा की परम्परा अविच्छिन्न प्रवाह के रूप में इतने दीर्घ काल तक रहने पाई है। अति प्राचीन होने पर भी इस भाषा की सृजन-शक्ति कुण्ठित नहीं हुई, इसका धातुपाठ नित्य नये शब्दों को गढ़ने में समर्थ रहा है।

संस्कृत के कवियों की सूची और उनकी रचनाएं

अगस्त्य (कवि) की प्रमुख रचनाएं

  • अगस्त्य संहिता

अमरु की प्रमुख रचनाएं

  • अमरूशतक

अश्वघोष की प्रमुख रचनाएं

  1. बुद्धचरितम्
  2. सौन्दरानंदकाव्यम्
  3. गंडीस्तोत्रगाथा
  4. शारिपुत्रप्रकरणम्

आर्यशूर की प्रमुख रचनाएं

  • जातकमाला

कलानाथ शास्त्री की प्रमुख रचनाएं

प्रमुख पुस्तकें : हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी में हिन्दी भाषा और भारतीय संस्कृति विषयक अनेक ग्रंथ प्रकाशित हुए हैं। प्रकाशित ग्रंथों में-

संस्कृत में –

  1. “जीवनस्य पृष्ठद्वयम्” (उपन्यास)
  2. “आख्यानवल्लरी” (कथा-संग्रह) (2004 का संस्कृत का केन्द्रीय संस्कृत अकादमी का पुरस्कार)
  3. “नाट्यवल्लरी”(नाटक), (राजस्थान संस्कृत अकादमी द्वारा पुरस्कृत)
  4. “सुधीजनवृत्तम्” (जीवनी संग्रह, जयपुर, 1997)
  5. “कवितावल्लरी” (काव्य संग्रह, जयपुर, 2008)
  6. ‘कथानकवल्ली’ (कथा संग्रह, जयपुर, 1987)
  7. “विद्वज्जनचरितामृतम्” (जीवनी संग्रह, नई दिल्ली, 1982)
  8. ‘जीवनस्य-पाथेयम्’ (उपन्यास, 2003) ‘ललितकथा कल्पवल्ली’ (2012)

हिन्दी में –

  1. ‘वैदिक वाङ्मय में भारतीय संस्कृति’ (बीकानेर, 2003)
  2. ‘आधुनिक काल का संस्कृत गद्य साहित्य’ (नई दिल्ली, 1995)
  3. ‘मानक हिन्दी का स्वरुप’ (नई दिल्ली, 2002, जयपुर, 2010)
  4. “संस्कृत साहित्य का इतिहास” (जयपुर, 1995, 2009)
  5. ‘भारतीय संस्कृति- स्वरूप और सिद्धान्त” (जयपुर, 2003)
  6. “संस्कृति के वातायन” (जयपुर, 1984)
  7. ‘राजभाषा हिन्दी : विविध पक्ष’ (बीकानेर, 2003)
  8. “संस्कृत के गौरव-शिखर” (नई दिल्ली, 1998)
  9. “जयपुर की संस्कृत परम्परा” जयपुर, 2000)
  10. ‘भारतीय संस्कृति:आधार और परिवेश’ (जयपुर, 1989)
  11. ‘साहित्य चिन्तन’ (जयपुर, 2005)
  12. ‘संस्कृत के युगपुरुष:मंजुनाथ’ (2004)
  13. ‘बोध कथाएँ’ (2012)
  14. ‘आधुनिक संस्कृत साहित्य:एक व्यापक दृष्टिपात’ (इलाहाबाद, 2001)

कालिदास की प्रमुख रचनाएं

छोटी-बड़ी कुल लगभग चालीस रचनाएँ हैं जिन्हें अलग-अलग विद्वानों ने कालिदास द्वारा रचित सिद्ध करने का प्रयास किया है। इनमें से मात्र सात ही ऐसी हैं जो निर्विवाद रूप से कालिदासकृत मानि जाती हैं:

  1. तीन नाटक(रूपक): अभिज्ञान शाकुन्तलम्, विक्रमोर्वशीयम् और मालविकाग्निमित्रम्
  2. दो महाकाव्य: रघुवंशम् और कुमारसंभवम्
  3. दो खण्डकाव्य: मेघदूतम् और ऋतुसंहार

इनमें भी ऋतुसंहार को प्रो॰ कीथ संदेह के साथ कालिदास की रचना स्वीकार करते हैं।
इनके अलावा कई छिटपुट रचनाओं का श्रेय कालिदास को दिया जाता है, लेकिन विद्वानों का मत है कि ये रचनाएं अन्य कवियों ने कालिदास के नाम से की। नाटककार और कवि के अलावा कालिदास ज्योतिष के भी विशेषज्ञ माने जाते हैं। उत्तर कालामृतम् नामक ज्योतिष पुस्तिका की रचना का श्रेय कालिदास को दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि काली देवी की पूजा से उन्हें ज्योतिष का ज्ञान मिला। इस पुस्तिका में की गई भविष्यवाणी सत्य साबित हुईं।

  1. श्रुतबोधम्
  2. शृंगार तिलकम्
  3. शृंगार रसाशतम्
  4. सेतुकाव्यम्
  5. पुष्पबाण विलासम्
  6. श्यामा दंडकम्
  7. ज्योतिर्विद्याभरणम्

कुंतक की प्रमुख रचनाएं

कुंतक, अलंकारशास्त्र के एक मौलिक विचारक विद्वान् थे। ये अभिधावादी आचार्य थे जिनकी दृष्टि में अभिधा शक्ति ही कवि के अभीष्ट अर्थ के द्योतन के लिए सर्वथा समर्थ होती है। इनका काल निश्चित रूप से ज्ञात नहीं हैं। किंतु विभिन्न अलंकार ग्रंथों के अंत:साक्ष्य के आधार पर समझा जाता है कि ये दसवीं शती ई. के आसपास हुए होंगे।

  • उनकी एकमात्र रचना वक्रोक्तिजीवित है जो अधूरी ही उपलब्ध हैं।

गंगादेवी की प्रमुख रचनाएं

  • मधुराविजयम्

गोविन्द चन्द्र पाण्डे की प्रमुख रचनाएं

  1. भारतीयता के मूल स्वर
  2. दर्शन विमर्श” 1996 वाराणसी,
  3. सौन्दर्य दर्शन विमर्श” 1996 राका प्रकाशन, जयपुर / वाराणसी,
  4. एकं सद्विप्राः बहुधा वदन्ति” 1997 वाराणसी
  5. न्यायबिन्दु” 1975 सारनाथ, जयपुर
  6. भक्तिदर्शनविमर्शः
  7. भागीरथी
  8. महिलाएं‘ Mahilayen गाथा सप्तशती का अनुवाद
  9. जया‘ (‘Jaya’) (कविता संग्रह) (poems)
  10. हंसिका‘ ‘Hansika (कविता-संग्रह) (poems)
  11. मूल्य-मीमांसा‘ Mulya Mimansa
  12. ‘The Meaning and Process of Culture’
  13. क्षण और लक्षण‘ (कविता-संग्रह) “Kshan aur Lakshan” (poems)
  14. अग्निबीज‘ (Agni Beej)(poems): भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली
  15. ‘Consciousness Values and Culture’
  16. ‘Life and Thought of Shankarachary’a
  17. ‘Foundations of Indian Culture’
  18. ‘Studies in the origin of Buddhism’
  19. ‘बुद्ध धर्म के विकास का इतिहास’
  20. ‘Jain thought and culture’
  21. ‘भारतीय समाज’
  22. ‘ऋग्वेद : चौथा एवं सप्तम मंडल’
  23. ‘अर्द्धशती का भारतीय काव्य चिंतन :पक्ष और विपक्ष’
  24. ‘पालि साहित्य का इतिहास’
  25. ‘इतिहास: स्वरुप एवं सिद्धांत’
  26. ‘मंजुनाथ ग्रंथावली’ समीक्षा
  27. ‘शंकराचार्य : विचार और सन्दर्भ’

गोस्वामी हरिकृष्ण शास्त्री की प्रमुख रचनाएं

  1. मूलतः ‘दिव्यालोक‘ नामक मौलिक संस्कृत महाकाव्य की रचना के लिए जाने जाते हैं।
  2. आदर्श्यौदार्यम्” (नाटक),
  3. वंशप्रशस्ति” (अपने वंश का इतिहास)
  4. ललित कथा कल्पलता‘ (संस्कृत-कहानी संग्रह)
  5. स्वामी रामानन्दाचार्य जी का “आचार्य विजय” नाम से जीवन चरित्र लिखा। इसे “चम्पूकाव्य” भी कहा जा सकता है।

इसके अलावा करीब २५ पुस्तकों की रचना की है।

जगन्नाथ पण्डितराज की प्रमुख रचनाएं

  1. गद्य ग्रंथ “यमुनावर्णन” का भी “रसगंगाधर” से संकेत मिलता है। “रसगंगाधर” नाम से सूचित होता है कि इस ग्रंथ में पाँच “आननों” (अध्यायों) की योजना रही होगी। परंतु दो ही “आनन” मिलते हैं।
  2. चित्रमीमांसाखंडन” भी अपूर्ण् है।
  3. काव्यप्रकाशटीका” भी प्रकाशित होकर अब तक सामने नहीं आई।

स्तोत्र

  • (क) अमृतलहरी (यमुनास्तोत्र),
  • (ख) गंगालहरी (पीयूषलहरी – गंगतामृतलहरी),
  • (ग) करुणालहरी (विष्णुलहरी),
  • (घ) लक्ष्मीलहरी और
  • (ङ) सुधालहरी।

प्रशस्तिकाव्य

  • (क) आसफविलास,
  • (ख) प्राणाभरण, और
  • (ग) जगदाभरण।

शास्त्रीय रचनाएँ –

  • (क) रसगंगाधर (अपूर्ण सहित्यशास्त्रीय ग्रंथ),
  • (ख) चित्रमीमांसाखंडन (अप्पय दीक्षित की “चित्रमीमांसा” नामक अलंकारग्रंथ की खंडनात्मक आलोचना) (अपूर्ण),
  • (ग) काव्यप्रकाशटीका (मंमट के “काव्यप्रकाश” की टीका) और
  • (घ) प्रौढ़मनोरमाकुचमर्दन (भट्टोजि दीक्षित के “प्रौढ़मनोरमा” नामक व्याकरण के टीकाग्रंथ का खंडन)।

जनार्दन गोस्वामी की प्रमुख रचनाएं

  1. वैद्यरत्नभाषा,
  2. कविरत्न, काल-विवेक,
  3. हाथिकाशालहोत्र,
  4. व्यवहारनिर्णयः,
  5. मंत्रचंद्रिका,
  6. सारोद्धार,
  7. लालितार्चाकौमुदी,
  8. श्रृंगारशतकम,
  9. वैराग्यशतकम,
  10. महालक्ष्मीपूजा,
  11. कामप्रमोद:

जल्हण की प्रमुख रचनाएं

  1. सोमपाल विलास,
  2. सूक्तिमुक्तावली,
  3. सुभाषित मुक्तावली,
  4. मुग्धोपदेश,
  5. सप्तशती छाया

ठाकुर बिल्वमंगल की प्रमुख रचनाएं

  1. कृष्णकर्णामृत,
  2. कृष्णबालचरित,
  3. कृष्णाह्रिक कौमुदी,
  4. गोविंदस्तोत्र,
  5. बालकृष्ण क्रीड़ा काव्य,
  6. बिल्वमंगल स्तोत्र,
  7. गोविंद दामोदरस्तव ।

दण्डी की प्रमुख रचनाएं

  1. काव्यादर्श,
  2. दशकुमारचरित,
  3. अवंतिसुंदरीकथा

देवर्षि रमानाथ शास्त्री की प्रमुख रचनाएं

  1. शुद्धाद्वैत दर्शन (द्वितीय भाग), प्रकाशक – बड़ा मन्दिर, भोईवाड़ा, मुंबई, 1917
  2. रासलीला-विरोध परिहार, प्रकाशक – विद्याविभाग, नाथद्वारा, 1932
  3. ब्रह्मसम्बन्ध अथवा पुष्टिमार्गीय दीक्षा, प्रकाशक – सनातन भक्तिमार्गीय साहित्य सेवा सदन, मथुरा, सन् 1932
  4. श्रीकृष्णावतार किं वा परब्रह्म का आविर्भाव, प्रकाशक – शुद्धाद्वैत पुष्टिमार्गीय सिद्धान्त कार्यालय, नाथद्वारा, 1935
  5. भक्ति और प्रपत्ति का स्वरूपगत भेद, प्रकाशक – शुद्धाद्वैत सिद्धान्त कार्यालय, नाथद्वारा, 1935
  6. श्रीकृष्णाश्रय, प्रकाशक – पुष्टिसिद्धान्त भवन, परिक्रमा, नाथद्वारा, 1938
  7. ईश्वर दर्शन, प्रकाशक – विद्याविभाग, नाथद्वारा, 1939
  8. पुष्टिमार्गीय स्वरूपसेवा, प्रकाशक – विद्याविभाग, नाथद्वारा, 1943
  9. श्रीकृष्णकी लीलाओं पर शास्त्रीय प्रकाश (प्रथम भाग), विद्याविभाग, नाथद्वारा, 1944
  10. ब्रह्मवाद, प्रकाशक – पुष्टिमार्गीय कार्यालय, नाथद्वारा, 1945
  11. पुष्टिमार्गीय नित्यसेवा स्मरण, प्रकाशक – श्रीवल्लभाचार्य जनकल्याण प्रन्यास, मथुरा, 1989
  12. अनुग्रह मार्ग (सुबोधिनीजी के अनुसार), प्रकाशक – श्रीवल्लभाचार्य जनकल्याण प्रन्यास, मथुरा, 1994
  13. शुद्धाद्वैत दर्शन (तीन भाग), प्रकाशक – विद्या विभाग, नाथद्वारा, नया संस्करण, 2000

उक्त ग्रंथों के अतिरिक्त उनके द्वारा लिखे अन्य प्रमुख ग्रंथों में निम्नलिखित ग्रन्थ भी हैं, जिनमें से कुछ अप्रकाशित अथवा पाण्डुलिपि रूप में हैं –

  1. “सिद्धांतरहस्यविवृत्ति”
  2. “शुद्धाद्वैत सिद्धान्तसार” (हिन्दी – गुजराती)
  3. “त्रिसूत्री”
  4. “गीता के सिद्धान्तों पर शांकर एवं वाल्लभ मत की तुलना”
  5. “षोडशग्रन्थ टीका”
  6. “स्तुतिपारिजातम्” (संस्कृत में)
  7. “दर्शनादर्शः” (संस्कृत में)
  8. “गीतातात्पर्य”
  9. “श्रीमद्वल्लभाचार्य”
  10. “भगवानक्षरब्रह्म”
  11. “श्रीमद्भगवतगीता (हिन्दी अनुवाद)”
  12. “राधाकृष्णतत्व”
  13. “सुबोधिनीजी का हिन्दी विशद अनुवाद”
  14. “छान्दोग्योपनिषद् भाष्यं” (संस्कृत में)

पद्मगुप्त की प्रमुख रचनाएं

  • पद्मगुप्त ‘नवसाहसांकचरित‘ नामक महाकाव्य के रचयिता।

परमानन्द सेन की प्रमुख रचनाएं

  1. श्री चैतन्यचरित महाकाव्य,
  2. आर्याशतक,
  3. श्री चैतन्य चंद्रोदय नाटक,
  4. श्री गौरगणीद्देशदीपिका,
  5. अलंकारकौस्तुभ,
  6. टीका बृहत् गणोद्देशदीपिका या कृष्णलीलोपदेश दीपिका,
  7. आनंदवृंदावन चंपू,
  8. वर्णप्रकाश कोष,
  9. चमत्कार चंद्रिका

बाणभट्ट की प्रमुख रचनाएं

  1. कादम्बरी और
  2. हर्षचरितम् के अतिरिक्त कई दूसरी रचनाएँ भी बाण की मानी जाती हैं।
  3. उनमें से मार्कण्डेय पुराण के देवी महात्म्य पर आधारित दुर्गा का स्तोत्र चंडीशतक है।

बिल्हण की प्रमुख रचनाएं

  1. रचना चौरपंचाशिका प्रसिद्ध है।
  2. उनकी दूसरी प्रसिद्ध रचना विक्रमांकदेवचरित है जो इतिहास गर्न्थ है।

भट्ट मथुरानाथ शास्त्री की प्रमुख रचनाएं

संस्कृत काव्य, पुस्तक आदि-

  1. जयपुर वैभवम् (1947, 2010) (जयपुर)
  2. साहित्य वैभवम् (पहली बार 1930 में निर्णय सागर प्रेस मुम्बई द्वारा, पुनः राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान नई दिल्ली द्वारा 2010 में)
  3. गोविन्द वैभवम् (गीता प्रेस, गोरखपुर, 1959)
  4. गीतिवीथी (संस्कृत में गीत, 1930 में प्रकाशित)
  5. भारत वैभवम् (मंजुनाथ ग्रंथावली में प्रकाशित, 2010)
  6. संस्कृत सुबोधिनी (दो भागों में)
  7. संस्कृत सुधा
  8. सुलभ संस्कृतम् (तीन भागों में) (जयपुर, 1970)
  9. गीतगोविन्दम् (निर्णय सागर प्रेस मुम्बई, 1937)
  10. आदर्श रमणी (संस्कृत उपन्यास) (पुनः प्रकाशित, 2010)
  11. मोगलसाम्राज्यसूत्रधारो महाराजो मानसिंहः (संस्कृत उपन्यास)
  12. भक्तिभावनो भगवान (संस्कृत उपन्यास)
  13. गाथा रत्नसमुच्चय (हाल की गाथा सप्तशती से चयनित गाथाएँ – संस्कृत पद्यों और प्राकृत में)
  14. संस्कृत गाथासप्तशती (प्राकृत गाथाओं का उन्हीं छंदों में अनुवाद व “व्यंग्यसर्वंकषा” व्याख्या) (निर्णय सागर प्रेस, मुंबई द्वारा 1933 में प्रकाशित)
  15. गीर्वाणगिरागौरवम् (केन्द्रीय संस्कृत विद्यापीठ, जयपुर, 1989)
  16. प्रबंध पारिजात (केन्द्रीय संस्कृत विद्यापीठ, जयपुर, 1988)
  17. शिलालेख ललंतिका (निर्णय सागर प्रेस, मुम्बई, 1941)
  18. शरणागति रहस्य (वाल्मीकि रामायण पर पुस्तक, गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित, हिन्दी)
  19. व्रजकविता वीथी (व्रज भाषा) (जयपुर, 1947)
  20. चतुर्थीस्तव (हिन्दी)
  21. चंद्रदत्त ओझा (जीवनी, हिन्दी)

पाठ, सम्पादन, संशोधन तथा टीका

  1. पण्डितराज जगन्नाथ कृत “रसगंगाधर” का सम्पादन, संशोधन व “सरला” टीका (निर्णय सागर प्रेस, मुम्बई, 1939)
  2. बाणभट्ट विरचित “कादम्बरी” का सम्पादन तथा उस पर “चषक” टीका (निर्णय सागर प्रेस, मुम्बई)
  3. जयदेव विरचित “गीतगोविन्द” का सम्पादन (निर्णय सागर प्रेस, मुम्बई, 1937)
  4. श्रीकृष्ण भट्ट कविकलानिधि के “ईश्वरविलास महाकाव्य” का सम्पादन, संशोधन एवं “विलासिनी” टीका (1958, 2006)
  5. श्रीकृष्ण भट्ट कविकलानिधि की “पद्यमुक्तावली” का सम्पादन, संशोधन व “गुणगुम्फनिका” नामक व्याख्या, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर, 1959)
  6. श्रीकृष्ण भट्ट कविकलानिधि की ‘वृत्त मुक्तावली‘ का सम्पादन और टीका (राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर द्वारा प्रकाशित, 1962)

निबन्ध

  • आपने ललित, समीक्षात्मक, विचारात्मक, विवरणात्मक, वर्णनात्मक, तथा शोध निबन्ध जैसी श्रेणियों में लगभग 120 निबंध लिखे हैं।

कथा साहित्य

  • मनोवैज्ञानिक, विविध, हास्य, प्रतीकात्मक, प्रणय, सामाजिक, एवं ऐतिहासिक श्रेणियों के अंतर्गत आपकी लगभग 80 कहानियां प्रकाश में आई हैं।

भट्टि की प्रमुख रचनाएं

  • प्रसिद्द रचना रावणवधम् है जो वर्तमान में भट्टिकाव्य के नाम से अधिक जानी जाती है।

भर्तृहरि की प्रमुख रचनाएं

  • इनके शतकत्रय (नीतिशतक, शृंगारशतक, वैराग्यशतक) ।
  • शतकत्रय के अतिरिक्त, वाक्यपदीय नामक एक उच्च श्रेणी का व्याकरण ग्रन्थ भी इनके नाम पर प्रसिद्ध है।

भल्लट की प्रमुख रचनाएं

  • इनकी लिखी एक ही रचना प्राप्त होती है जिसका नाम ‘भल्लट शतक‘ है। इसका प्रकाशन काव्यमाला सिरीज़ के ‘काव्यगुच्छ’ संख्या दो में हुआ है।

भवभूति की प्रमुख रचनाएं

भवभूति द्वारा रचित तीन नाटक प्राप्त होते हैं –

  1. महावीरचरितम्
  2. उत्तररामचरितम्
  3. मालतीमाधव

भारवि की प्रमुख रचनाएं

  • किरातार्जुनीयम् महाकाव्य उनकी महान रचना है। इसे एक उत्कृष्ट श्रेणी की काव्यरचना माना जाता है। इनका काल छठी-सातवीं शताब्दि बताया जाता है। यह काव्य किरातरूपधारी शिव एवं पांडुपुत्र अर्जुन के बीच के धनुर्युद्ध तथा वाद-वार्तालाप पर केंद्रित है। महाभारत के एक पर्व पर आधारित इस महाकाव्य में अट्ठारह सर्ग हैं।

भीमस्वामी की प्रमुख रचनाएं

  • इनका ‘रावणार्जुनीय काव्य‘ प्रसिद्ध है। २७ सर्गों वाले इस काव्य में कार्तवीर्य अर्जुन तथा रावण के युद्ध का वर्णन है।

मंखक की प्रमुख रचनाएं

  1. मंखक की दो कृतियाँ प्रसिद्ध हैं: श्रीकंठचरित् महाकाव्य, तथा
  2. मंखकोश

माघ (कवि) की प्रमुख रचनाएं

  • प्राचीनतम महाकाव्य ‘शिशुपालवध‘ के रचियता थे।

रत्नाकर स्वामी की प्रमुख रचनाएं

  1. ध्वनि गाथा पंजिका‘,
  2. वक्रोक्तिपंजाशिका‘ तथा
  3. ५० सर्गोवाले एक बृहत्, आलंकारिका शैली में लिखे गए ‘हरविजय‘ नामक महाकाव्य के लेखक के रूप में इनकी प्रसिद्धि है।

रामभद्राचार्य की प्रमुख रचनाएं

जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने ८० से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है, जिनमें से कुछ प्रकाशित और कुछ अप्रकाशित हैं। उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं।

काव्य- महाकाव्य

  1. श्रीभार्गवराघवीयम् (२००२) – एक सौ एक श्लोकों वाले इक्कीस सर्गों में विभाजित और चालीस संस्कृत और प्राकृत के छन्दों में बद्ध २१२१ श्लोकों में विरचित संस्कृत महाकाव्य। स्वयं महाकवि द्वारा रचित हिन्दी टीका सहित। इसका वर्ण्य विषय दो राम अवतारों (परशुराम और राम) की लीला है। इस रचना के लिए कवि को २००५ में संस्कृत के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट द्वारा प्रकाशित।
  2. अष्टावक्र (२०१०) – एक सौ आठ पदों वाले आठ सर्गों में विभाजित ८६४ पदों में विरचित हिन्दी महाकाव्य। यह महाकाव्य अष्टावक्र ऋषि के जीवन का वर्णन है, जिन्हें विकलांगों के पुरोधा के रूप में दर्शाया गया है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट द्वारा प्रकाशित।
  3. अरुन्धती (१९९४) – १५ सर्गों और १२७९ पदों में रचित हिन्दी महाकाव्य। इसमें ऋषि दम्पती वसिष्ठ और अरुन्धती के जीवन का वर्णन है। राघव साहित्य प्रकाशन निधि, राजकोट द्वारा प्रकाशित।

लोलिम्बराज की प्रमुख रचनाएं

इनकी अनुपम काव्यप्रतिभा से पूर्ण दो वैद्यक ग्रंथ मिलते हैं,

  1. वैद्यजीवन‘ तथा
  2. वैद्यावतंस
  3. हरिविलास‘,(पाँच सर्गों का एक अतिशय मधुर काव्य ) जिसमें श्रीकृष्णभगवान् की नंदगृह में स्थिति से कंसवध तक की लीला का वर्णन हुआ है। इस काव्य की रचना लोलिंब ने अपने आश्रयदाता श्री सूर्यपुत्र हरि (या हरिहर) नरेश के अनुरोध से की थी

वाल्मीकि की प्रमुख रचनाएं

  • ये आदिकवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। उन्होने संस्कृत में रामायण की रचना की। उनके द्वारा रची रामायण भगवान वाल्मीकि रामायण कहलाई। रामायण एक महाकाव्य है जो कि राम के जीवन के माध्यम से हमें जीवन के सत्य से, कर्तव्य से, परिचित करवाता है।

विद्याधर शास्त्री की प्रमुख रचनाएं

संस्कृत महाकाव्य

  1. हरनामाम्रितम्
  2. विश्वमानवियम्

संस्कृत कविताएँ

  1. विक्रमाभिनन्दनम्
  2. वैचित्र्य लहरी
  3. मत्त लहरी
  4. आनंद मंदाकिनी
  5. हिमाद्रि माहात्य़म्
  6. शाकुन्तल विज्ञानम्
  7. अलिदुर्ग दर्शनम्

स्तवन काव्य

  1. शिव पुष्पांजलि
  2. सूर्य स्तवन
  3. लीला लहरी

संस्कृत नाटक

  1. पूर्णानन्दम्
  2. कलिदैन्य़म्
  3. दुर्बल बलम्

शिवानन्द गोस्वामी की प्रमुख रचनाएं

पद्यबद्ध (काव्य के प्रारूप में) ज्ञान से भरी उनकी उपलब्ध २८ कृतियाँ हैं।

  • सिंह-सिद्धांत-सिन्धु (सन १६७४ ईस्वी)
  • सिंह-सिद्धांत-प्रदीपक
  • सुबोध-रूपावली
  • श्रीविद्यास्यपर्याक्रम-दर्पण
  • विद्यार्चनदीपिका
  • ललितार्चन-कौमुदी
  • लक्ष्मीनारायणार्चा-कौमुदी

श्रीकृष्णभट्ट कविकलानिधि की प्रमुख रचनाएं

  1. ईश्वरविलास महाकाव्य
  2. पद्यमुक्तावली
  3. सुन्दरी स्तवराज
  4. वेदांत पंचविंशति
  5. अलंकार-कलानिधि
  6. श्रृंगार रसमाधुरी
  7. विदग्ध रसमाधुरी
  8. जयसिंह गुणसरिता
  9. रामचंद्रोदय
  10. वृत्त चन्द्रिका
  11. दुर्गा भक्तितरंगिनी
  12. टीका उपनिषद
  13. साम्भर युद्ध
  14. जाजौ युद्ध
  15. बहादुर विजय
  16. नखशिख वर्णन
  17. राम रासा
  18. वृत्तमुक्तावली
  19. रामगीतम

श्रीहर्ष की प्रमुख रचनाएं

  1. उन्होंने कई ग्रन्थों की रचना की, जिनमें “नैषधीयचरित्” महाकाव्य उनकी कीर्ति का स्थायी स्मारक है। नैषधचरित में निषध देश के शासक नल तथा विदर्भ के शासक भीम की कन्या दमयन्ती के प्रणय सम्बन्धों तथा अन्ततोगत्वा उनके विवाह की कथा का काव्यात्मक वर्णन मिलता है।
  2. खण्डन-खण्ड-खाद्य” नामक ग्रन्थ में उन्होंने अद्वैत मत का प्रतिपादन किया। इसमें न्याय के सिद्धान्तों का भी खण्डन किया गया है।

सत्यव्रत शास्त्री की प्रमुख रचनाएं

  1. वृहत्तमभारतम्,
  2. श्री बोधिसत्वचरितम् और
  3. वैदिक व्याकरण

सुबन्धु की प्रमुख रचनाएं

  • ये वासवदत्ता नामक गद्यकाव्य के रचयिता हैं।

हरिचन्द्र की प्रमुख रचनाएं

  • इन्होंने माघ की शैली पर धर्मशर्माभ्युदय नामक इक्कीस सर्गों का महाकाव्य रचा, जिसमें पंद्रहवें तीर्थंकर धर्मनाथ का चरित वर्णित है। ये महाकवि बाण द्वारा उद्धृत गद्यकार भट्टार हरिचंद्र से भिन्न थे, क्योंकि कि ये महाकाव्यकार थे, गद्यकाव्यकार थे, गद्यकार नहीं।