वृद्धि संधि
वृद्धि संधि का सूत्र
ब्रध्दिरेचि होता है। यह संधि
स्वर संधि के भागो में से एक है। संस्कृत में स्वर संधियां आठ प्रकार की होती है।
दीर्घ संधि, गुण संधि,
वृद्धि संधि,
यण् संधि,
अयादि संधि,
पूर्वरूप संधि,
पररूप संधि,
प्रकृति भाव संधि। इस पृष्ठ पर हम
वृद्धि संधि का अध्ययन करेंगे !
वृद्धि संधि के दो नियम होते हैं!
अ, आ का
ए, ऐ से मेल होने पर
ऐ तथा
अ, आ का
ओ, औ से मेल होने पर
औ हो जाता है। इसे वृद्धि संधि कहते हैं। जैसे -
नियम 1.
- अ + ए = ऐ --> एक + एक = एकैक ;
- अ + ऐ = ऐ --> मत + ऐक्य = मतैक्य
- आ + ए = ऐ --> सदा + एव = सदैव
- आ + ऐ = ऐ --> महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
नियम 2.
- अ + ओ = औ --> वन + औषधि = वनौषधि ;
- आ + ओ = औ --> महा + औषधि = महौषधि ;
- अ + औ = औ --> परम + औषध = परमौषध ;
- आ + औ = औ --> महा + औषध = महौषध
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