पद | Pad Parichay | पद परिचय की परिभाषा, भेद और उदाहरण

वाक्य में प्रयुक्त शब्दों को पद और इनका परिचय देना पद परिचय कहलाता है। इस पोस्ट में हम जानेंगे पद क्या होता है, पद परिचय कैसे लिखते हैं तथा पद परिचय क्या होता हैं, और पद परिचय के क्या नियम होते हैं? इन सब Pad और Pad Parichay के बारे में आगे विस्तार से सरलतम शब्दों में समझाया गया है।
Pad Parichay

पद किसे कहते हैं, पद परिचय क्या होता हैं, और इसे कैसे लिखें?

वाक्य में प्रयुक्त शब्द को ‘पद‘ कहा जाता है। वाक्य में प्रयुक्त शब्दों में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया विशेषण, संबंधबोधक आदि अनेक शब्द होते हैं, जब ये शब्द एक सार्थक वाक्य में प्रयोग किए जाते हैं तो यही शब्द पद कहलाते हैं। पद परिचय में यह बताना होता है कि दिए हुए वाक्य में व्याकरण की दृष्टि से क्या-क्या प्रयोग हुआ है, अर्थात कौन सा शब्द संज्ञा है, और कौन सा शब्द सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, अव्यय, क्रिया विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक। अतः वाक्य में प्रयुक्त पदों का परिचय देना ही Pad Parichay कहलाता है।

पद : Pad

पद की परिभाषा: सार्थक वर्ण-समूह शब्द कहलाता है, किंतु जब इसका प्रयोग वाक्य में होता है तो वह व्याकरण के नियमों में बँध जाता है और इसका रूप भी बदल जाता है। अतः जब यह शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है तो उसे शब्द न कहकर पद कहा जाता है।

पद के भेद

हिन्दी में पद मुख्य रूप से पाँच (5) प्रकार के होते हैं। (In Hindi, phrases are of 5 types) ये इस प्रकार हैं:

  1. संज्ञा
  2. सर्वनाम
  3. विशेषण
  4. क्रिया
  5. अव्यय

पद परिचय : Pad Parichay

पद परिचय की परिभाषा: वाक्य में प्रयुक्त पदों (शब्दों) का व्याकरणिक परिचय देना ‘पद परिचय‘ कहलाता है। अर्थात पद परिचय में यह बताना होता है कि दिए हुए वाक्य में व्याकरण की दृष्टि से क्या-क्या प्रयोग हुआ है, अर्थात कौन सा शब्द संज्ञा है, और कौन सा शब्द सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, अव्यय, क्रिया विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और आपस में इनका क्या संबंध है।

हिन्दी व्याकरण में इसके विभिन्न नाम दिये गये हैं; यथा-‘पदान्वय’, ‘पदनिर्देश’, ‘पदनिर्णय’, ‘पद-विन्यास’, ‘पदच्छेद’ इत्यादि। ये सभी ‘पद परिचय’ के पर्यायवाची शब्द है। ‘पद-परिचय’ में वाक्यों में प्रयुक्त सार्थक शब्दों अथवा पदों की व्याकरणसम्मत विशेषताएँ बतायी जाती हैं।

दूसरे शब्दों में, इसे हम यों कह सकते हैं कि वाक्य के प्रत्येक पद को अलग-अलग कर उसका स्वरूप और दूसरे पद से सम्बन्ध बताना ‘पद-परिचय’ कहलाता है। Pad Parichay में एक तरह से सारे व्याकरण का साररूप रख देना पड़ता है।

पद परिचय के आवश्यक संकेत

पद परिचय कैसे लिखें: जैसा कि आप जानते हैं कि पद पाँच प्रकार (संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, अव्यय) के होते हैं, तो इनके पद परिचय लिखते समय क्या-क्या बताना चाहिए, उस सामान्य परिचय के संकेत निम्न हैं-

  1. संज्ञा – संज्ञा के भेद (जातिवाचक व्यक्तिवाचक भाववाचक), लिंग  (पुल्लिंग, स्त्रीलिंग), वचन (एकवचन, बहुवचन), कारक और उसका क्रिया के साथ संबंध।
  2. सर्वनाम – सर्वनाम के भेद (पुरुषवाचक, निश्चयवाचक, अनिश्चयवाचक, प्रश्नवाचक, संबंधवाचक , निजवाचक), लिंग, वचन, कारक, क्रिया के साथ संबंध।
  3. विशेषण – विशेषण का भेद (गुणवाचक, संख्यावाचक, परिमाणवाचक,सार्वनामिक), विशेष्य, लिंग, वचन।
  4. क्रिया – क्रिया का भेद (अकर्मक, सकर्मक, प्रेरणार्थक, संयुक्त, मुख्य सहायक), वाक्य, लिंग, वचन, काल, धातु।
  5. अव्यय – अव्यय का भेद (क्रियाविशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक, विस्मयादिबोधक, निपात) जिस क्रिया की विशेषता बताई जा रही है उसका निर्देश, समुच्चयबोधक, संबंधबोधक, विस्मयादिबोधक, भेद तथा उसका संबंध निर्देश आदि बताना होगा।

हिन्दी में सार्थक-शब्द दो भागों में विभाजित किए गए है-

  1. विकारी शब्द और
  2. अविकारी शब्द।

विकारी शब्द: जिन शब्दों पर लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि का प्रभाव पड़ता है, उन्हें विकारी शब्द कहा जाता हैं। विकारी शब्द चार होते हैं- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, और क्रिया। जैसेपतंग उड़ रही है (एकवचन), पतंगे उड़ रहीं हैं (वहुवचन)।

अविकारी शब्द: इसके अंतर्गत अव्यय शब्द आते हैं। इन शब्दों पर लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि का प्रभाव नहीं पड़ता है। अव्यय शब्द के मुख्य रूप से चार भेद होते हैं- क्रिया-विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक। जैसे– वह धीरे चलता है, सीता धीरे चलती है, बच्चे धीरे चल रहे हैं, सीता यहाँ आई थे, बच्चे यहाँ आए थे, इत्यादि।

पद परिचय का उदाहरण

उदाहरण: श्याम स्कूल जाता है।

  • श्याम – व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुलिंग, एकवचन, कर्ता कारक
  • स्कूल – जातिवाचक संज्ञा, पुलिंग, एकवचन, कर्म कारक
  • जाता है – क्रिया, सकर्मक क्रिया, पुलिंग, एकवचन, वर्तमान काल

अब विस्तार से सभी प्रकार के पदों का पद परिचय अलग अलग समझेंगे।

पद परिचय के भेद

हिन्दी व्याकरण में पद परिचय के कोई निश्चित भेद या प्रकार नहीं किए गए हैं। प्रमुख पदों के अन्वय का सामान्य पद परिचय:-

संज्ञा का पद परिचय

संज्ञा का पद परिचय देते समय वाक्य में आये प्रत्येक शब्द को अलग-अलग करके उसका परिचय बताना चाहिए। इसमें संज्ञा का लिंग, वचन, कारक भी बताना होता है। जैसे-

उदाहरण 1. राम ने रावण को बाण से मारा।

इस वाक्य में ‘राम’, ‘रावण’ और ‘बाण’ तीन संज्ञापद है। इनका पदान्वय इस प्रकार होगा-

  • रामसंज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग , एकवचन , कर्ताकारक
  • रावण– संज्ञा , व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग , एकवचन , कर्मकारक
  • बाण– संज्ञा , व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग , एकवचन , करण कारक (साधन रूप में)।

उदाहरण 2. राम कहता है कि मैं मोहन की पुस्तकें पढ़ सकता हूँ।

इसमें ‘राम’, ‘मोहन’ और ‘पुस्तकें’ तीन संज्ञापद है। इनका पदान्वय इस प्रकार होगा-

  • राम– संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्त्ताकारक, ‘कहता है’ क्रिया का कर्ता ।
  • मोहन– संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, सम्बन्धकारक, इसका सम्बन्ध ‘ पुस्तकें’ से है।
  • पुस्तकें– संज्ञा, जातिवाचक, स्त्रीलिंग, बहुवचन, कर्म कारक, ‘पढ़ सकता हूँ’ क्रिया का कर्म ।

सर्वनाम का पद परिचय

सर्वनाम के पद परिचय में सर्वप्रथम दिए हुए वाक्य में सर्वनाम शब्द को पहचान कर, तत्पश्चात उसका भेद (पुरुषवाचक, निश्चयवाचक, अनिश्चयवाचक, प्रश्नवाचक, संबंधवाचक, निजवाचक) लिखते हैं, फिर वचन, लिंग, कारक और वाक्य के अन्य पदों से संबंध बताते हैं।

उदाहरण: वह अपना काम करता है।

इस वाक्य में ‘वह’, ‘अपना’ दो सर्वनाम पद है। इनका पद परिचय इस प्रकार होगा-

  • वह– पुरुषवाचक सर्वनाम, अन्य पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, कर्त्ता कारक, क्रिया का कर्ता।
  • अपना– निजवाचक सर्वनाम, अन्यपुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, संज्ञा का विशेषण।

विशेषण का पद परिचय

विशेषण के पद-परिचय में संज्ञा और सर्वनाम की तरह लिंग, वचन, कारक और विशेष्य बताना चाहिए। जैसे-

उदाहरण– यह तुम्हें बापू के अमूल्य गुणों की थोड़ी-बहुत जानकारी अवश्य कराएगा।

इस वाक्य में ‘अमूल्य’ और ‘थोड़ी-बहुत’ विशेषण है। इसका पद परिचय इस प्रकार होगा-

  • अमूल्य– विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, बहुवचन, अन्यपुरुष, संबंधवाचक, ‘गुणों’ इसका विशेष्य।
  • थोड़ी-बहुत– विशेषण, अनिश्चित संख्यावाचक, स्त्रीलिंग, कर्मवाचक, ‘जानकारी’ इसका विशेष्य।

क्रिया का पद परिचय

क्रिया के पद-परिचय में क्रिया का प्रकार, वाच्य, पुरुष, लिंग, वचन, काल और वह शब्द जिससे क्रिया का सम्बन्ध है, इतनी बातें बातनी चाहिए।

उदाहरण– मैं जाता हूँ।

इसमें ‘जाता हूँ‘ क्रिया है। इसका पद परिचय इस प्रकार होगा-

  • जाता हूँ-अकर्मक क्रिया, कर्तृवाच्य, सामान्य वर्तमान, उत्तमपुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, ‘मैं’ इसका कर्त्ता।

अव्यय का पद परिचय

अव्यय के पद परिचय में अव्यय, अव्यय का भेद और उससे सम्बन्ध रखने वाला पद, इतनी बातें लिखनी चाहिए।

उदाहरण 1. वह अभी आया है।

इसमें ‘अभी’ अव्यय है। इसका पद परिचय इस प्रकार होगा-

  • अभी– कालवाचक अव्यय, ‘आना’ क्रिया का काल सूचित करता है, अत: ‘आना’ क्रिया का विशेषण

उदाहरण 2.अहा! आप आ गये।

  • अहा– हर्षबोधक अव्यय ।

क्रिया विशेषण का पद परिचय

इसके अन्तर्गत क्रिया विशेषण का प्रकार और जिस क्रिया की यह विशेषता प्रकट करे उस पद का उल्लेख होना चाहिए।

उदाहरण– बालक अपने क्लास में शान्तिपूर्वक बैठता है।

इस वाक्य में ‘शान्तिपूर्वक’ क्रिया विशेषण पद है। इसका पद परिचय इस प्रकार होगा-

  • शान्तिपूर्वक– रीतिवाचक क्रियाविशेषण, ‘बैठता है’ क्रिया की विशेषता बतलाता है।

पद परिचय के कुछ अन्य उदाहरण

उदाहरण 1– श्याम स्कूल जाता है।

  • श्याम – व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुलिंग, एकवचन, कर्ता कारक
  • स्कूल – जातिवाचक संज्ञा, पुलिंग, एकवचन, कर्म कारक
  • जाता है – क्रिया, सकर्मक क्रिया, पुलिंग, एकवचन, वर्तमान काल

उदाहरण 2– वह सेब खाता है।

  • वह -पुरुषवाचक सर्वनाम, अन्य पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक
  • सेब – जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, कर्म कारक
  • खाता है – सकर्मक क्रिया, एकवचन, पुल्लिंग, कृत वाच्य, वर्तमान काल

उदाहरण 3– राजेश वहां दसवीं कक्षा में बैठा है।

  • राजेश – संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुलिंग, एकवचन, कर्ता कारक
  • वहां – स्थानवाचक क्रिया विशेषण, ‘बैठा है’ क्रिया का स्थान निर्देश
  • दसवीं – संख्यावाचक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन
  • कक्षा में – जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, अधिकरण कारक, ‘बैठा है’ क्रिया से संबंध
  • बैठा है – अकर्मक क्रिया, पुलिंग, एकवचन, अन्य पुरुष, कृत वाच्य

केवल रेखांकित पदों का व्याकरणिक परिचय दीजिए:

वाक्य पद परिचय (व्याकरणिक परिचय)
यह पुस्तक मेरी है। यह– सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, स्त्रीलिंग
कल हमने ताजमहल देखा। कल– कालवाचक क्रिया विशेषण;
ताजमहल– जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, कर्म कारक
गीता ने पुस्तक पढ़ ली पढ़ ली– सकर्मक क्रिया , स्त्रीलिंग , एकवचन , भूतकाल
जल्दी चलो गाड़ी जाने वाली है। जल्दी– अव्यय, क्रिया विशेषण, ‘चलो’ क्रिया की विशेषता
उपवन में ‘सुंदर’ फूल खिले हैं।  सुंदर– गुणवाचक विशेषण , पुल्लिंग, बहुवचन, ‘फूल‘ विशेष्य

वाक्यों में सभी पदों के सही पद परिचय

उदाहरण 4. अच्छा लड़का कक्षा में शान्तिपूर्वक बैठता है।

  • अच्छा– गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, इसका विशेष्य ‘लड़का’ है।
  • लड़का– जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, अन्यपुरुष, कर्त्ताकारक, ‘बैठता है’ क्रिया का कर्त्ता ।
  • कक्षा में– जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, अधिकरणकारक।
  • शान्तिपूर्वक– रीतिवाचक क्रिया विशेषण, ‘बैठता है’ क्रिया का विशेषण ।
  • बैठता है– अकर्मक क्रिया, कर्तृवाच्य, सामान्य वर्तमानकाल, पुल्लिंग, एकवचन, अन्यपुरुष, इसका कर्त्ता लड़का है।

उदाहरण 5. मोहन अपने भाई सोहन को छड़ी से मारता है।

  • मोहन– व्यक्तिवाचक संज्ञा, अन्यपुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, कर्त्ताकारक, इसकी क्रिया है ‘मारता है’।
  • अपने– निजवाचक सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, सम्बन्धकारक, ‘भाई’ के सम्बन्ध रखता है, सार्वनामिक विशेषण, इसका विशेष्य ‘भाई’ है।
  • भाई– जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्मकारक, ‘सोहन’ (कर्म) का विशेषण, ‘मारता है’ क्रिया का कर्म।
  • सोहन को– व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्मकारक, ‘भाई’ के अर्थ को प्रकट करता है अतः ‘समानाधिकरण संज्ञा’।
  • छड़ी से– जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, करणकारक।
  • मारता है– सकर्मक क्रिया, इसका कर्म ‘भाई सोहन’, सामान्य वर्तमानकाल, पुल्लिंग, कर्तृवाच्य, अन्यपुरुष, इसका कर्त्ता ‘मोहन’ हे।

ये पद परिचय कक्षा 8 से 12 (class 8, class 9, class 10, class 11, class 12) के अतिरिक्त अन्य हिन्दी की परीक्षाओं में भी पूंछें जाते हैं। अतः इनकों जानना हिन्दी में अच्छे अंक लाने के लिए महत्वपूर्ण है।

पद परिचय से अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न: FAQ

पद परिचय किसे कहते हैं तथा इसके कितने भेद होते हैं?

जब कोई शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है तो उसे शब्द न कहकर पद कहा जाता है। हिन्दी में पद परिचय के कोई निश्चित भेद या प्रकार नहीं किये गए हैं। परंतु हिन्दी के वाक्यों में प्रयुक्त होने पद मुख्य रूप से पाँच होते हैं:- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, अव्यय।

पद परिचय का अर्थ क्या है?

वाक्य में प्रयुक्त शब्दों में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया विशेषण, संबंधबोधक आदि अनेक शब्द होते हैं, जब ये शब्द एक सार्थक वाक्य में प्रयोग किए जाते हैं तो यही शब्द ‘पद’ कहलाते हैं। अतः पद परिचय में यह बताना होता है कि दिए हुए वाक्य में व्याकरण की दृष्टि से क्या-क्या प्रयोग हुआ है, अर्थात कौन सा शब्द संज्ञा है, और कौन सा शब्द सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, अव्यय, क्रिया विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक। औरआपस में इनका क्या संबंध है।

संज्ञा पद परिचय किसे कहते है?

संज्ञा का पद परिचय देते समय वाक्य में आये प्रत्येक शब्द को अलग-अलग करके उसका परिचय बताना चाहिए। इसमें संज्ञा का लिंग, वचन, कारक भी बताना होता है।

सर्वनाम पद परिचय किसे कहते है?

सर्वनाम के पद परिचय में सर्वप्रथम दिए हुए वाक्य में सर्वनाम शब्द को पहचान कर, तत्पश्चात उसका भेद (पुरुषवाचक, निश्चयवाचक, अनिश्चयवाचक, प्रश्नवाचक, संबंधवाचक, निजवाचक) लिखते हैं, फिर वचन, लिंग, कारक और वाक्य के अन्य पदों से संबंध बताते हैं।

विशेषण पद परिचय क्या होता है?

विशेषण के पद-परिचय में संज्ञा और सर्वनाम की तरह लिंग, वचन, कारक और विशेष्य बताना चाहिए। उदाहरण- यह तुम्हें बापू के अमूल्य गुणों की थोड़ी-बहुत जानकारी अवश्य कराएगा। इस वाक्य में ‘अमूल्य’ और ‘थोड़ी-बहुत’ विशेषण है। इसका पद परिचय बताना ही विशेषण पद परिचय कहलाता है।

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